CRPF Shaurya Divas: जब सीआरपीएफ के 150 जवानों ने कच्छ के रण में पाकिस्तानी ब्रिगेड को दिया था मुंहतोड़ जवाब

सीआरपीएफ, जिसे देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल होने का गौरव हासिल है, उसकी बहादुरी के किस्से भी उतने ही ज्यादा हैं। 1965 में इस बल की छोटी सी टुकड़ी ने पाकिस्तान की इन्फेंट्री, जिसने गुजरात स्थित कच्छ के रण में 'टाक' और 'सरदार पोस्ट' पर हमला किया, को मुंह तोड़ जवाब दिया था। दुनिया हैरान थी कि अर्धसैनिक बल की सेकेंड बटालियन की दो कंपनियों (करीब 150 जवान) ने पाकिस्तानी सेना की 51 वीं ब्रिगेड के 35 सौ सैनिकों को पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया। पाकिस्तान ने 14 घंटे में तीन बार हमले का प्रयास किया, लेकिनसीआरपीएफ केबहादुर जवानों ने उनके मंसूबे पूरे नहीं होने दिए। पाकिस्तान के पास तोपें भी थी, जबकिसीआरपीएफजवानों के पास सामान्य हथियार थे। नतीजा, पाकिस्तान के 34 सैनिक मारे गए, जिनमें दो अफसर भी शामिल थे।चार को जिंदा पकड़ लिया गया। सीआरपीएफके अदम्य शौर्य, रण कौशल और अद्वितीय बहादुरी के चलते हर साल 9 अप्रैल को शौर्यमनाया जाता है।1965 में जब पाकिस्तान ने यह हमला किया तो उस वक्त बीएसएफ की स्थापना नहीं हुई थी। अप्रैल 1965 में पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सीमा की एक सैनिक चौकी पर हमला करने की योजना बनाई। पाकिस्तानी सेना का मकसद भारतीय भू-भाग पर कब्जा करना था। इसके लिए उन्होंने ऑपरेशन डेजर्ट हॉक शुरू किया था। 9 अप्रैल, 1965 की सुबह 3 बजे पाकिस्तान की 51 ब्रिगेड ने अपने 3500 सैनिकों के साथ रण ऑफ कच्छ की 'टाक' और 'सरदार पोस्ट' पर हमला कर दिया। उस दौरान सीआरपीएफऔर गुजरात राज्य पुलिस फोर्स को यहां पर तैनात किया गया था। सीआरपीएफकी दूसरी बटालियन की दो कंपनियां इस इलाके में सीमा पर तैनात थी। पाकिस्तान की एक पूरी इन्फेन्ट्री ब्रिगेड ने सरदार व टॉक चौकियों पर हमला कर दिया था। करीब 14 घंटे तक यह भीषण समर चलता रहा।सीआरपीएफके जवानों ने विशाल ब्रिगेड का डट कर मुकाबला किया और उसे सीमा से वापस खदेड़ दिया। इस युद्ध मेंसीआरपीएफके जवानों ने पाकिस्तानी सेना के 34 जवानों को मार गिराया व 4 को जिंदा गिरफ्तार किया। इस युद्ध मेंसीआरपीएफके सात जवानों ने निडरता से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दी और वे इतिहास में अमर हो गए। यह दुनिया के इतिहास में हुए कई युद्धों में से एकमात्र ऐसा युद्ध था जिसमें पुलिस बल की छोटी सी टुकड़ी ने दुश्मन की विशाल ब्रिगेड को घुटने टेक वापस लौटने पर मजबूर कर दिया।सीआरपीएफ के जवानों द्वारा दिखाई गई इस बहादुरी को हमेशा याद करने के लिए 9 अप्रैल का दिन शौर्य दिवस केरूप में मनाया जाता है।पूरे साजो-सामान से लैस पाकिस्तानी फौज की एक पूरी ब्रिगेडसीआरपीएफ की कंपनी को उसकी पोस्ट से हटा नहीं सकी। पाकिस्तानी ब्रिगेड के पास तोपखाना था। भरपूर गोले बरसाए गए, लेकिनसीआरपीएफ ने अपने सामान्य हथियारों का इस्तेमाल कर पाकिस्तानी ब्रिगेड को इतना अधिक नुकसान पहुंचाया कि उसने पीछे हटने में ही समझदारी दिखाई।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Apr 09, 2025, 10:21 IST
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