नरक चतुर्दशी: छोटी दिवाली पर क्यों होता है यमाष्टक का पाठ? जानें क्या है यम दीपक और यमाष्टक स्तोत्र का रहस्य

जब अंधकार से उजाला जीतता है, तब दीपों की रोशनी केवल घरों को नहीं, आत्माओं को भी प्रकाशित करती है। नरक चतुर्दशी, जिसे छोटी दीपावली कहा जाता है, केवल दीपदान का पर्व नहीं, बल्कि मृत्यु और जीवन के बीच आत्मा की शांति का संदेश है। इस दिन यमराज की आराधना से मनुष्य अकाल मृत्यु के भय से मुक्त होता है। स्वर्ण पदक प्राप्त ज्योतिषाचार्य पं. गणेश शर्मा का कहना है कि यह वह अवसर है जब धर्मराज स्वयं अपने भक्तों के जीवन की डोर को दीर्घायु बनाते हैं। यमाष्टक स्तोत्र – मृत्यु के भय पर विजय का मन्त्र पं. शर्मा के अनुसार यमाष्टक स्तोत्र में धर्मराज के आठ पवित्र नामों का वर्णन है। जो व्यक्ति श्रद्धा से इसका पाठ करता है, उसके जीवन से अकाल मृत्यु का भय दूर हो जाता है। देवी सावित्री ने भी इसी स्तोत्र के प्रभाव से अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी। श्रीमद्देवीभागवत के नवम स्कंध में इसका उल्लेख मिलता है — “तपसा धर्ममाराध्य पुष्करे भास्करः पुरा। धर्मं सूर्यः सुतं प्राप धर्मराजं नमाम्यहम॥” पं. शर्मा का कहना है कि यह स्तोत्र केवल श्लोक नहीं, बल्कि मृत्यु पर आध्यात्मिक विजय का उद्घोष है। सुबह का अभ्यंग स्नान और यम दीपक का महत्व 19 अक्तूबर 2025 की सुबह अभ्यंग स्नान का विशेष महत्व रहेगा। तेल और अपामार्ग के पत्तों से स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। घर में गंगाजल का छिड़काव कर वातावरण को पवित्र बनाएं। सूर्यास्त के बाद दक्षिण दिशा में चार मुख वाला दीपक जलाएं। इसे यम दीपक कहा जाता है। माना जाता है कि यह दीपक यमराज को समर्पित होता है और परिवार को अकाल मृत्यु के भय से बचाता है। यमराज के निमित्त यह प्रार्थना की जाती है – “यमराज नमस्तुभ्यं दीपं गृह्य प्रदक्षिणम्।” यह भी पढ़ें-इंदौर में धनतेरस पर हो गई बारिश, बाजारों की सजावट बिगड़ी, ग्राहकी छोड़ समेटा सामान दीपदान से हटता है अंधकार, बढ़ती है सकारात्मक ऊर्जा शास्त्र कहते हैं कि नरक चतुर्दशी की संध्या पर जब दीपक प्रज्ज्वलित होते हैं, तब नकारात्मक ऊर्जा का हर अंश मिट जाता है। घर का प्रत्येक कोना जब रोशनी से भरता है, तो मन में करुणा, सौहार्द और जीवन के प्रति कृतज्ञता जागृत होती है। इस दिन तुलसी, रसोई और आंगन में दीपक जलाना आवश्यक है। पं. शर्मा का कहना है कि यह केवल पूजा नहीं, आत्मा के शुद्धिकरण का अनुष्ठान है, जिससे मनुष्य अपने भीतर के भय को परास्त करता है। श्रद्धा से किया गया पाठ बदल सकता है भाग्य पं. गणेश शर्मा के अनुसार, मृत्यु अपरिहार्य है, परंतु अकाल मृत्यु को कर्म और साधना से टाला जा सकता है। जो व्यक्ति नरक चतुर्दशी की प्रातःकाल एक बार भी यमाष्टक स्तोत्र का पाठ करता है, उसे धर्मराज के यमपाश का भय नहीं रहता। श्रद्धा और विश्वास से किया गया यह पाठ जीवन में शांति, आयु और स्थिरता लाता है। छोटी दीपावली का यह पर्व हर उस मनुष्य को याद दिलाता है कि दीपक की लौ की तरह जीवन को भी कर्म और धर्म से उज्ज्वल बनाए रखना चाहिए।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Oct 19, 2025, 00:47 IST
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