एक तीर, निशाने कई: वंशवादी सियासत में लिप्त दलों पर प्रहार, भाजपा बिहार में दिल्ली का रणनीतिक लाभ उठाएगी

हरियाणा के जींद जिले में पैदा हुईं रेखा गुप्ता को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक साथ कई लक्ष्यों पर निशाना साधा है। उनके इस निर्णय ने सबको चौंका दिया है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की कट्टर स्वयंसेवक और वह भी महिला, विकसित दिल्ली की कमान संभाल सकती है। एक महिला को दिल्ली की सत्ता की कमान सौंपने से भाजपा की आगामी रणनीतियों का भी पता चलता है, जिसे वह राष्ट्रीय स्तर पर भुनाने का प्रयास करेगी। यह वंशवाद की राजनीति करने वाली विपक्षी पार्टियों पर सीधा प्रहार है। भाजपा ने पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के उस कथन को सही साबित किया है, भाजपा एक अलग पार्टी है। आडवाणी की बात से सीख लेते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस को चुनौती दी है कि उसने कब अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) या दलित परिवार को सम्मान दिया, जबकि एक ही परिवार से मां, बेटा और बेटी सांसद बनी हुई हैं। दिल्ली में मुख्यमंत्री के रूप में रेखा गुप्ता का चयन समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव, राजद के तेजस्वी यादव और आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल पर भी सीधा प्रहार है। स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी इस साल के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा के चुनाव के दौरान अपने इस निर्णय को भुनाएंगे। भारतीय जनता पार्टी की ओर महिलाओं को आकर्षित करने के लिए और उन्हें सशक्त बनाने के लिए रेखा गुप्ता को एक उदाहरण के तौर पर उद्धृत किया जाएगा। इसके साथ ही महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम माना जा सकता है। प्रधानमंत्री मोदी यह संदेश देते आए हैं कि विकसित भारत के सपने को साकार करने और राजनीति से भ्रष्टाचार व वंशवाद को खत्म करने के लिए युवाओं का राजनीति में आना जरूरी है। इसके साथ ही आरएसएस के शताब्दी वर्ष के समारोह में रेखा गुप्ता का दिल्ली की मुख्यमंत्री के तौर पर चयन भाजपा का आरएसएस को रिटर्न गिफ्ट भी है। यह भी संयोग ही है कि जिस दिन दिल्ली की मुख्यमंत्री के लिए रेखा गुप्ता के नाम का एलान किया गया, उसी िदन दिल्ली में आरएसएस के बहुमंजिला मुख्यालय का भी उद्घाटन हो रहा था। झंडेवालान स्थित आरएसएस मुख्यालय केशव कुंज में हुए कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ भाजपा के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह, राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी भी मौजूद थे। अब दिल्ली विधानसभा की परिकल्पना करें, तो उसमें महिलाओं का बोलबाला होगा। सत्ताधारी दल की कमान एक महिला को सौंपी जा चुकी है। उम्मीद है कि आतिशी नेता प्रतिपक्ष के पद की शोभा बढ़ाएंगी, जो इससे पहले मुख्यमंत्री थीं। मतलब साफ है कि विधानसभा में रेखा बनाम आतिशी की टक्कर होगी। भाजपा से दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं रेखा गुप्ता की पृष्ठभूमि को देखें, तो पहली बात यह कि उनके परिवार से अन्य कोई सदस्य सक्रिय राजनीति में नहीं है। दूसरी बात रेखा गुप्ता बीते करीब 32 वर्षों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ी हुई हैं। वह सुषमा स्वराज के बाद मजबूत महिला चेहरा बनकर उभरी हैं। उनका संबंध हरियाणा के जींद जिले से है और आरएसएस की समर्पित स्वयंसेवक रही हैं। वह अपने विद्यार्थी जीवन में ही आरएसएस के आनुषंगिक छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़ गई थीं। वह दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संगठन की महासचिव और अध्यक्ष बनीं। वह दो बार दिल्ली नगर निगम में पार्षद रहीं, तो दक्षिण दिल्ली नगर निगम की महापौर भी रह चुकी हैं। दिल्ली भाजपा की महासचिव पद के अलावा राष्ट्रीय इकाई में भी वह कई दायित्वों को सफलतापूर्वक निभा चुकी हैं। वर्ष 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में शालीमार बाग विधानसभा क्षेत्र से उन्होंने आम आदमी पार्टी की वंदना कुमारी को 29,595 मतों के बड़े अंतर से हराया था। रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाए जाने को राजनीतिक हलकों में ऐतिहासिक रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि देश भर में भाजपा और उसके सहयोगियों की जहां भी सरकार है, उनमें से वह पहली महिला मुख्यमंत्री हैं। इसके अलावा, रेखा गुप्ता की राजनीति में जमीनी स्तर पर सक्रियता, संगठनात्मक कौशल और शालीमार बाग से बड़ी जीत उनके मुख्यमंत्री पद पर पहुंचने के बड़े आधार बने। उनकी पहचान सामुदायिक विकास, महिला सशक्तीकरण और शैक्षिक सुधारों पर जोर देने के लिए भी होती है। भारतीय जनता पार्टी ने रेखा गुप्ता के बहाने न केवल दिल्ली की महिलाओं को साधा है, बल्कि अब आगामी चुनावों में उसका पूरा फोकस आधी आबादी पर होने जा रहा है। बिहार के लिए भाजपा ने अपनी पूरी बिसात बिछा दी है। इसके बाद अगले साल के मध्य तक तीन प्रमुख राज्यों-पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु का नंबर है, उनमें भी भाजपा बड़ी बढ़त हासिल करने के लिए प्रयासरत है। इसके लिए रेखा गुप्ता के ऊपर काफी दारोमदार होगा कि वह अपनी पार्टी के एजेंडे में कैसे फिट बैठती हैं। भारतीय जनता पार्टी की ओर से दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान महिलाओं को ढाई हजार रुपये देने और यमुना की सफाई जैसे अनेक वादे किए गए हैं। इनमें महिलाओं को प्रत्यक्ष तौर पर रुपये देने का वादा राष्ट्रीय फलक पर असर छोड़ेगा। यदि भाजपा अपने किए गए वादे के अनुसार, महिलाओं के खाते में हर माह रुपये भेजना शुरू कर देती है, तो निश्चित रूप से इसका बड़ा संदेश जाएगा, क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में देश भर के लोग रहते हैं। उनमें लाभान्वित होने वालों में सबसे ज्यादा पूर्वी क्षेत्र यानी बिहार और बंगाल के लोग ही होंगे, जहां आगामी वर्षों में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में भाजपा की योजना में बिहार और बंगाल के लिए भी महिलाओं को लुभाने वाले वादे जरूर होंगे, क्योंकि भाजपा शासित अन्य राज्यों, जैसे-ओडिशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में पहले से ही महिलाओं को एक निश्चित सम्मान राशि प्रदान की जा रही है। दिल्ली में भी वह महिलाओं को सम्मान राशि देकर जरूर साबित करना चाहेगी कि वह जो गारंटी देती है, उसे पूरा करती है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Feb 21, 2025, 05:41 IST
पूरी ख़बर पढ़ें »

Read More:
Opinion National



एक तीर, निशाने कई: वंशवादी सियासत में लिप्त दलों पर प्रहार, भाजपा बिहार में दिल्ली का रणनीतिक लाभ उठाएगी #Opinion #National #SubahSamachar