Delhi High Court: संपत्ति के अधिकारों में गृहणियों की भूमिका को मिले मान्यता, कहा- पहचानी जाए उनकी भूमिका
दिल्ली हाईकोर्ट ने परिवार में गृहणियों (होममेकर) की भूमिका को पहचान देने की बात कही है। अदालत ने कहा कि अब समय आ गया है कि गृहिणियों की भूमिका को, जो अक्सर छिपी और कम आंकी जाती है, संपत्ति के स्वामित्व अधिकारों के संदर्भ में मान्यता दी जाए। कोर्ट ने इस बात पर अफसोस जताया कि वर्तमान में ऐसा कोई वैधानिक तंत्र नहीं है जो गृहिणियों के योगदान को मान्यता दे या उनके मूल्य को निर्धारित करे। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने 11 सितंबर को एक महिला की याचिका पर सुनवाई के दौरान की। याचिका में महिला ने पारिवारिक अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनकी संपत्ति में 50 प्रतिशत स्वामित्व की मांग को खारिज कर दिया गया था। हाईकोर्ट ने पारिवारिक अदालत के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि ्केवल वैवाहिक घर में पत्नी के रहने से उसे पति के नाम पर दर्ज संपत्तियों पर स्वामित्व का अखंडनीय अधिकार नहीं मिल जाता। खंडपीठ ने कहा, वैवाहिक संबंध केवल एक सामाजिक व्यवस्था नहीं है, बल्कि एक कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त साझेदारी है, जो विवाह के सार और फल को समेटे हुए है। यह दोनों पति-पत्नी के सामान्य प्रयासों पर आधारित एक संयुक्त उद्यम है, जिसमें वित्तीय, भावनात्मक या घरेलू योगदान परिवार की स्थिरता और कल्याण के लिए अभिन्न हैं। महिला ने तर्क दिया था कि एक गृहिणी के रूप में उनकी भूमिका ने उनके पति को नौकरी करने और परिवार की संपत्तियों के अधिग्रहण में योगदान देने में सक्षम बनाया। इसलिए, विवाह के दौरान हासिल की गई किसी भी संपत्ति को, चाहे वह पति या पत्नी के नाम पर हो, उनके संयुक्त प्रयासों का परिणाम माना जाना चाहिए।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Sep 13, 2025, 04:19 IST
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