Himachal: एचपीएसईडीसी में टेंडर आवंटन की प्रक्रिया पर राज्य सरकार से हाईकोर्ट ने तलब की विस्तृत जानकारी
हिमाचल प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम लिमिटेड (एचपीएसईडीसी) में एंपैनल कंपनियों को टेंडर आवंटित करने की प्रक्रिया और पारदर्शी तरीके से कैसे काम को अंजाम दिया जाता है, इस पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से विस्तृत जानकारी मांगी है। महाधिवक्ता ने हलफनामा दाखिल करने के लिए कोर्ट से समय मांगा, जिसे अदालत ने स्वीकार कर दिया। अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी। प्रतिवादी एचपीएसईडीसी की ओर से टेंडर आवंटित के एक मामले में दायर लिखित बयान में अदालत ने असंतोष जताया। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावलिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि बोलियों का मूल्यांकन किस स्तर पर और कैसे किया गया, सफल बोली लगाने वाले ठेकेदार को ठेके देने के लिए क्या मापदंड अपनाए गए हैं, क्या सफल बोली लगाने वाले एल 1(सबसे कम बोली लगाने वाला) था, इस पर अदालत को अवगत कराया जाए। यह मामला कॉर्पोरेशन में रजिस्टर्ड कंपनी की ओर से दायर किया गया है। इसमें उन्होंने सरकार व काॅर्पोरेशन पर टेंडर प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप लगाया गया है। वर्तमान में कॉरपोरेशन की ओर से ठेके देने के लिए 5 फीसदी कमीशन तय किया है, जिससे ढाई-ढाई फीसदी कॉरपोरेशन और कंपनियों को जाता है। इस वजह से कंपनियों का वित्तीय नीलामी का अधिकार छिन गया है। काॅरपोरेशन कंपनियों को एंपैनल करता है, उसके बाद विभाग कॉरपोरेशन को संस्तुतियां भेजता है। अगर 10 लोगों से कम लेबर का काम है तो कॉरपोरेशन रोटेशन के तहत कंपनियों को काम देता है। अगर उससे अधिक है तो कोई नियम नहीं हैं। उसके लिए तकनीकी नीलामी करते हैं। विभाग की ओर से अगर किसी कंपनी के नाम की सिफारिश की जाती है तो उसी को काम दिया जाता है। कॉरपोरेशन ने करीब 36 कंपनियां चयनित की हैं, जिससे विभागों के काम आउटसोर्स किए जाते हैं। कॉरपोरेशन रजिस्ट्रेशन के लिए साल में इनसे 50-50 हजार रुपये लेती है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Sep 06, 2025, 17:50 IST
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