Dev Deepawali 2025: हमारी काशी के हिस्से एक दिवाली ज्यादा आती है, देवों वाली दिवाली
अपने अचरा में बेहिसाब नावों, बजड़ों, मोटरबोट्स और क्रूज को संभाले मां गंगा का वेग आज अपनी सबसे ऊंची हदें पार कर रहा था। किसी अतिउत्साहित जेन जी की तरह। और उनकी लहरें ऐसी जैसे किसी ओलिंपिक में अनगिनत धावक दौड़े जा रहे हों। पानी में वेग इतना की मजबूत, हष्ट पुष्ट बजड़ों को भी कागज की कश्ती सा डगमगा दे रही थी। नमो घाट, दशाश्वमेध, अस्सी तो बारह मास, चौबीसों घंटे रोशन रहते हैं। लेकिन आमतौर पर चुप और गुमसुम रहनेवाले घाट भी आज उस बहुरिया से नजर आ रहे थे जो सिर्फ त्यौहारों पर तिजौरी से सास के दिए गहने पहनकर सुहाग सजाती है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 06, 2025, 07:13 IST
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