आस्था: काशी में पहली बार देवव्रत ने शुरू किया कंठस्थ पारायण, रोजाना साढ़े तीन घंटे तक चलेगा दंडक्रम वेदपारायण
काशी के इतिहास में पहली बार शुक्ल यजुर्वेद माध्यंदिनी शाखा के दंडक्रम (विकृति ) के कंठस्थ पारायण की शुरूआत हुई। एक महीने 28 दिनों तक शुक्लयजुर्वेद माध्यंदिन शाखा का एकाकी संपूर्ण कंठस्थ दंडक्रम वेदपारायण अनवरत रोजाना साढ़े तीन घंटे तक चलेगा। श्रुति स्मृति ज्ञान मंदिर वेद पाठशाला के छात्र देवव्रत महेश रेखे ने दंडक्रम पारायण प्रारंभ कर सभी को चमत्कृत किया। रविवार को रामघाट स्थित सांगवेद विद्यालय में श्री गणेश पूजन, पुण्याह वाचन, नवग्रह पूजन तथा वेद पुस्तक पूजा एवं गुरु पूजा हुई। इसके साथ ही शुक्ल यजुर्वेद की माध्यंदिन शाखा के दंडक्रम (विकृति ) के पारायण का शुभारंभ हुआ। दक्षिणामूर्ति मठ के अधिपति 1008 पुण्यानंद गिरि महाराज के शिष्य स्वामी 1008 स्वयंप्रकाश गिरि महाराज तथा 108 महेश चैतन्य ब्रह्मचारी महाराज ने आशीर्वाद दिया। विद्यालय, गीर्वार्णवागवर्धिनी सभा एवं महाराष्ट्र के अहिल्यानगर के श्रुति स्मृति ज्ञान मंदिर वेद पाठशाला ने स्वयंप्रकाश गिरि महाराज को अभिनंदन पत्र,माला महावस्त्र एवं श्रीफल अर्पित किया। श्रुति स्मृति ज्ञान मंदिर वेद पाठशाला के छात्र तथा महेश चंद्रकांत रेखे के पुत्र देवव्रत महेश रेखे ने दंडक्रम (विकृति) पारायण प्रारंभ कर सभी को चमत्कृत किया। वेदमूर्ति देवेंद्र रामचंद्र गढीकर ने पारायण का श्रवण किया। सांगवेद विद्यालय के अध्यक्ष पं. विश्वेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने वेद की विकृतियों की रक्षा के लिए ऐसे पारायण की आवश्यकता बतलाई। दक्षिणामूर्ति मठ के 1008 स्वयंप्रकाश गिरि महाराज ने गीता शांकर भाष्य का उल्लेख करते हुए कहा कि ब्राह्मणत्व की रक्षा वेद रक्षा से होती है। वेद जब सुरक्षित रहेगा तभी वैदिक धर्म सुरक्षित रहेगा।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Oct 13, 2025, 16:37 IST
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