Hindi Kavita: धर्मवीर भारती की कविता- तुम कितनी सुंदर लगती हो, जब तुम हो जाती हो उदास !
तुम कितनी सुंदर लगती हो, जब तुम हो जाती हो उदास ! ज्यों किसी गुलाबी दुनिया में, सूने खंडहर के आस-पास मदभरी चाँदनी जगती हो! मुँह पर ढक लेती हो आँचल, ज्यों डूब रहे रवि पर बादल। या दिन भर उड़ कर थकी किरन, सो जाती हो पाँखें समेट, आँचल में अलस उदासी बन; दो भूले-भटके सांध्य विहग पुतली में कर लेते निवास। तुम कितनी सुंदर लगती हो, जब तुम हो जाती हो उदास!
- Source: www.amarujala.com
- Published: Dec 24, 2022, 18:47 IST
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