तनाव: पाकिस्तान के हिस्से वाले पानी के अधिकतम इस्तेमाल पर मंथन, सिंधु जल समझौता रोकने के बाद रखा गया प्रस्ताव

केंद्र सरकार सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान को मिलने वाले तीन नदियों के पानी के अधिकतम इस्तेमाल करने के तरीकों पर अध्ययन करने की योजना बना रही है। यह प्रस्ताव गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई उच्चस्तरीय बैठक में रखा गया। पहलगाम हमले के बाद सरकार ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है। विश्व बैंक की मध्यस्थता वाली संधि के तहत भारत को पूर्वी नदियों सतलुज, ब्यास और रावी के पानी पर विशेष अधिकार दिए गए थे। इनका औसत वार्षिक प्रवाह लगभग 3.3 करोड़ एकड़ फीट (एमएएफ) है। पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी बड़े पैमाने पर पाकिस्तान को आवंटित किया गया था। इनका औसत वार्षिक प्रवाह लगभग 13.5 करोड़ एकड़ फीट है। संधि के निलंबन के चलते सरकार सिंधु, झेलम और चिनाब के पानी का उपयोग करने के तरीकों पर विचार कर रही है। उच्चस्तरीय बैठक के बाद जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने शुक्रवार को कहा था कि सरकार यह सुनिश्चित करने की रणनीति पर काम कर रही है कि पानी की एक भी बूंद पाकिस्तान में न जाए। उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई निर्देश जारी किए थे और उन पर अमल के लिए यह बैठक हुई। शाह ने बैठक में उनके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए कई सुझाव दिए। ये भी पढ़ें:-सिंधु नहर विवाद: प्रदर्शन रोकने में पाकिस्तान सरकार नाकाम, देश में बाधित हुई आपूर्ति शृंखला; 15,000 वाहन फंसे दीर्घकालिक योजना पर काम सूत्रों ने बताया कि सरकार अपने निर्णयों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए दीर्घकालिक योजना पर काम कर रही है। एक अधिकारी के अनुसार, मंत्रालय को तीन पश्चिमी नदियों के पानी के उपयोग के तरीकों पर अध्ययन करने के लिए कहा गया है। विशेषज्ञों ने बुनियादी ढांचे की कमी के बारे में बात की है, जो संधि को निलंबित करने के निर्णय से प्राप्त होने वाले पानी का पूर्ण उपयोग करने की भारत की क्षमता को सीमित कर सकती है। तत्काल प्रवाह को रोकना मुश्किल : ठक्कर साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स, रिवर्स एंड पीपल (एसएएनडीआरपी) के हिमांशु ठक्कर ने कहा कि वास्तविक समस्या पश्चिमी नदियों से संबंधित है, जहां बुनियादी ढांचे की सीमाएं हमें पानी के प्रवाह को तत्काल रोकने से रोकती हैं। उन्होंने कहा कि चेनाब बेसिन में हमारी कई परियोजनाएं चल रही हैं जिनके पूरा होने में पांच से सात वर्ष लगेंगे। तब तक पानी गुरुत्वाकर्षण के कारण पाकिस्तान की ओर बहता रहेगा। एक बार ये चालू हो जाएं तो भारत के पास नियंत्रण तंत्र होगा जो वर्तमान में मौजूद नहीं है। ये भी पढ़ें:-चिंताजनक:गांवों से ज्यादा गर्म हो रहे शहर,ठंड की अपेक्षा गर्मी से होने वाली मौतें औसतन 4.4 गुना अधिक बुनियादी ढांचे का अभाव: धर्माधिकारी पर्यावरण कार्यकर्ता और मंथन अध्ययन केंद्र के संस्थापक श्रीपाद धर्माधिकारी ने भी यह मानने के प्रति आगाह किया है कि भारत जल प्रवाह को तेजी से मोड़ सकता है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में, हमारे पास पाकिस्तान में पानी के प्रवाह को रोकने के लिए आवश्यक प्रमुख बुनियादी ढांचे का अभाव है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Apr 27, 2025, 07:52 IST
पूरी ख़बर पढ़ें »

Read More:
India news National



तनाव: पाकिस्तान के हिस्से वाले पानी के अधिकतम इस्तेमाल पर मंथन, सिंधु जल समझौता रोकने के बाद रखा गया प्रस्ताव #IndiaNews #National #SubahSamachar