डीके शिवकुमार ने सिद्धारमैया को नाश्ते पर बुलाया

कर्नाटक में पिछले कई दिनों से चल रही नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाओं के बीच राजनीतिक हलचल एक बार फिर तेज हो गई है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच दिख रही दूरियां अब कम होती नजर आ रही हैं। राज्य के सत्ता गलियारों में चल रही खींचतान के बीच सोमवार को डिप्टी सीएम शिवकुमार ने खुद एक्स पर पोस्ट कर साफ किया कि वे और मुख्यमंत्री “एक टीम की तरह काम करना जारी रखेंगे।” साथ ही उन्होंने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री को नाश्ते पर अपने घर आमंत्रित किया है, ताकि सरकार के कामकाज और चुनावी वादों पर आगे की रणनीति पर चर्चा की जा सके। शनिवार को भी दोनों नेताओं की सीएम आवास पर मुलाकात हुई थी। इसे लेकर राजनीतिक हलकों में बड़ी चर्चा थी कि क्या कांग्रेस नेतृत्व परिवर्तन के दबाव में है या मुख्यमंत्री बदलने पर विचार हो रहा है। लेकिन मुलाकात के बाद दोनों नेताओं ने स्पष्ट किया कि उनके बीच किसी तरह का मतभेद नहीं है और वे पार्टी आलाकमान के फैसले का पालन करेंगे। डीके शिवकुमार ने मीडिया से कहा था, “ये मेरे और मुख्यमंत्री के बीच का मामला है। हम दोनों भाई की तरह काम कर रहे हैं। मीडिया की खबरों की वजह से जो छवि बन रही है, वह गलत है। कोई गुटबाजी नहीं है, आप ही गुटबाजी बना रहे हैं।” नेतृत्व विवाद की जड़ 2023 के विधानसभा चुनाव तक जाती है। चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार दोनों ही मजबूत दावेदार थे। मामला इतना बढ़ा कि पार्टी आलाकमान को दखल देना पड़ा। दिल्ली में हुई लंबी बैठकों के बाद समझौते के तहत सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री और शिवकुमार को उपमुख्यमंत्री बनाया गया। इसी समय मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि दोनों नेताओं के बीच ढाई-ढाई साल के लिए सीएम पद का रोटेशन तय हुआ है। हालांकि न तो सिद्धारमैया और न ही शिवकुमार ने कभी इस रोटेशन फॉर्मूले को सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया। लेकिन नवंबर 2025 में सिद्धारमैया के ढाई साल का कार्यकाल पूरा होते ही यह मुद्दा फिर गर्मा गया। राजनीतिक गलियारों में सवाल उठने लगे कि क्या अब बारी डीके शिवकुमार की है यही वजह है कि CM-डिप्टी CM की हर मुलाकात को सत्ता परिवर्तन के नजरिए से देखा जा रहा है। सोमवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मीडिया से बातचीत में कहा कि शिवकुमार ने उन्हें मंगलवार सुबह नाश्ते पर बुलाया है। “अभी औपचारिक निमंत्रण नहीं मिला है। लेकिन अगर बुलावा आता है तो मैं जरूर जाऊंगा,” उन्होंने मुस्कराहट के साथ कहा। उनके इस बयान ने राजनीतिक चर्चाओं को और हवा दी, लेकिन साथ ही इसे सकारात्मक संकेत भी माना जा रहा है। नेतृत्व विवाद के बीच भाजपा कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार अंदरूनी खींचतान की वजह से “पूरी तरह ठप” हो चुकी है। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस के “7-8 वरिष्ठ विधायक और मंत्री मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में शामिल हैं।” साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का ध्यान किसानों की समस्याओं और प्रशासनिक कामों से हट चुका है। विशेषज्ञ मानते हैं कि सिद्धारमैया और शिवकुमार की मुलाकातें यह संकेत देती हैं कि कांग्रेस आलाकमान ने दोनों नेताओं को सार्वजनिक विवाद से दूर रहने का निर्देश दिया है। नाश्ते पर होने वाली बैठक को लेकर भी उम्मीद जताई जा रही है कि इससे सरकार के भीतर चल रहे तनाव को कुछ हद तक कम किया जा सकेगा। हालांकि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा अब भी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। रोटेशन फॉर्मूले पर पार्टी चुप है, और शिवकुमार समर्थक विधायकों की सक्रियता भी कम नहीं हुई है। फिलहाल, कर्नाटक की राजनीति में नाश्ता कूटनीति ने थोड़ा सुकून जरूर दिया है, लेकिन असली तस्वीर अगले कुछ हफ्तों में साफ होगी क्या कांग्रेस नेतृत्व को लेकर एकजुट दिखती है या फिर सत्ता की दावेदारी नया मोड़ लेती है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Dec 02, 2025, 01:29 IST
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