आर्थिक असमानता: सिर्फ समस्या नहीं, समाधान पर भी हो बात
हाल ही में, जारी 'जी-20 टास्कफोर्स' की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो दशक में भारत सहित दुनिया भर में अमीरों और गरीबों के बीच की खाई, यानी आर्थिक विषमता और बढ़ गई है। नोबेल पुरस्कार विजेता तथा जाने-माने अर्थशास्त्री जोसेफ स्टिग्लिट्ज की अगुवाई में तैयार गई ग्लोबल इनइक्वलिटी रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर सबसे अमीर एक प्रतिशत लोगों ने साल 2000 के बाद से अर्जित नई संपत्ति का 41 फीसदी हिस्सा हासिल किया है। वहीं दुनिया के निचले तबकों की 50 फीसदी आबादी के पास कुल मिलाकर सिर्फ एक प्रतिशत संपत्ति ही है। भारत में भी यह असमानता पिछले दो दशकों में तेजी से बढ़ी है। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2000 से 2023 के बीच देश के शीर्ष एक फीसदी लोगों की संपत्ति में 62 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है। मशहूर अर्थशास्त्री ज्यां द्रेेज के अनुसार, जब अर्थव्यवस्था और समाज कुछ गिने-चुने अरबपतियों के नियंत्रण में आ जाते हैं, तो लोकतंत्र मुश्किल में पड़ जाता है। जैसा कि आज अमेरिका में हो रहा है। जी -20 ग्लोबल इनइक्वलिटी रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के अधिकांश अरबपतियों को उनकी संपत्ति विरासत में मिली है। इसके अनुसार, दुनिया भर में अगले एक दशक में 700 खरब डॉलर तक की संपत्ति का हस्तांतरण हो सकता है, वह भी बिना या बहुत कम टैक्स के। इससे असमानता और बढ़ेगी। इसलिए, रिपोर्ट विरासत संपत्ति कर लगाने की सिफारिश करती है। साल 2000 से 2023 के बीच नई संपत्ति का 41 फीसदी हिस्सा अर्जित करने वाले शीर्ष लोगों की आय में औसतन 13 लाख डॉलर (लगभग 12 करोड़ रुपये) की बढ़ोतरी और सबसे गरीब 50 फीसदी लोगों की आय में औसतन महज 585 डॉलर (करीब 52 हजार रुपये) की वृद्धि हुई है। दुनिया में करीब 3,000 अरबपतियों की कुल संपत्ति वैश्विक जीडीपी के लगभग 16 फीसदी हिस्से के बराबर है। इससे रिपोर्ट ने अनुमान लगाया है कि दुनिया को जल्द ही पहला ट्रिलियनेयर मिल जाएगा, यानी कि जिसकी संपत्ति एक लाख करोड़ डॉलर या उससे अधिक होगी। दुनिया के हर चौथे व्यक्ति को रोज भरपेट भोजन नहीं मिल पा रहा है। आज ऐसे लोगों का आंकड़ा करीब 2.3 अरब है। यह संख्या 2019 की तुलना में लगभग 33.5 करोड़ अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में 1.3 अरब लोग अब भी स्वास्थ्य पर आकस्मिक खर्चों के कारण गरीबी से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब के अनुसार, भारत में शीर्ष एक फीसदी लोगों के पास राष्ट्रीय आय का 22.6 और संपत्ति का लगभग 40.1 फीसदी है। यह 1961 के बाद सर्वाधिक है। नीचे के 50 फीसदी लोगों के पास देश की कुल आय का केवल करीब 15 फीसदी है। हालांकि, विश्व बैंक की जुलाई 2025 में आई रिपोर्ट में समानता के मामले में भारत को कहीं बेहतर चौथे स्थान पर रखा गया है। रिपोर्ट के अनुसार, हर साल 10 करोड़ रुपये या इससे ज्यादा कमाने वालों पर दो फीसदी का अतिरिक्त टैक्स और 10 से 100 करोड़ रुपये की संपत्ति वाले परिवारों पर 33 फीसदी का विरासत कर लगाने से जीडीपी का 2.7 फीसदी अतिरिक्त राजस्व जुटाया जा सकता है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट के अनुसार, शहरी बेरोजगारों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों की तर्ज पर 'रोजगार गारंटी मॉडल' लागू करने से भी आर्थिक विषमता को कम किया जा सकता है। भारत में न तो वेल्थ टैक्स है, न ही विरासत कर। ऐसे में, अमीर और अमीर बन रहे हैं, जबकि गरीब वहीं के वहीं हैं। जी-20 टास्क फोर्स की रिपोर्ट में आर्थिक विषमता दूर करने के लिए चार काम प्रमुखता से किए जाने की सिफारिश की गई है। पहला, 'इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज' (आईपीसीसी) की तर्ज पर 'इंटरनेशनल पैनल ऑन इक्विटी' बनाया जाना है। यह विश्व भर में आर्थिक विषमता से जुड़े आंकड़े एकत्र करे, उनका विश्लेषण करे और नीति निर्माताओं को जरूरी मार्गदर्शन दे। दूसरा, बहुराष्ट्रीय कंपनियों के मुनाफे पर टैक्स और सामाजिक सुरक्षा को लेकर देशों को साझा नीतियां बनानी चाहिए। अमीरों पर अधिक कर, संपत्ति कर व विरासत कर, जबकि गरीबों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा में सब्सिडी बढ़ाने की अनुशंसा की गई है। तीसरा, कई देशों में न्यूनतम मजदूरी के नियम बने हैं। लेकिन यह प्रभावी नहीं रह जाती। इसे मुद्रास्फीति से उसी तरह जोड़ा जाए, जैसे शासकीय सेवाओं में वेतन के साथ डीए का नियम है। 'गिग वर्कर्स' या असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा दी जाए। चौथा, अनेक देशों में सार्वजनिक स्वास्थ्य, शिक्षा व ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश या तो कम हो रहा है या अपने पुराने स्तर पर बना हुआ है। इन पर निवेश हो, यानी सरकारी खर्च बढ़ने से आर्थिक विषमता को दीर्घकालिक तौर पर कम किया जा सकता है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 18, 2025, 05:51 IST
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