आर्थिकी: चीन का विकल्प बनने को तैयार है भारत, मौजूदा परिस्थितियां... विनिर्माण केंद्र के रूप में उभरने का समय

चीन पर अमेरिका द्वारा टैरिफ थोपने का निर्णय वैश्विक आर्थिक रणनीति में महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है, लेकिन भारत इसका लाभ उठा सकता है। खासकर उच्च तकनीकी और दूसरे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में बीजिंग पर अपनी निर्भरता कम करना ही वाशिंगटन का उद्देश्य है और यही पूरे एशिया में वैश्विक आपूर्ति शृंखला के पुनर्गठन की वजह बन रहा है। यह पुनर्गठन भारत को दुनिया के लिए केंद्रीय विनिर्माण महाशक्ति के रूप में खुद को फिर से स्थापित करने का स्वर्णिम मौका प्रदान करता है। जैसे-जैसे भू-राजनीतिक तनाव बढ़ रहा है, खासकर हिंद-प्रशांत में चीन से अमेरिका का आर्थिक अलगाव भी तेज हो रहा है। भारत अपने विशाल युवा कार्यबल, सुधरते बुनियादी ढांचे और रणनीतिक प्रोत्साहनों के दम पर वैश्विक उत्पादन नेटवर्क का विश्वसनीय विकल्प बनने की क्षमता रखता है। चीन के इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी), ईवी बैटरी और सेमीकंडक्टर पर टैरिफ सात से 25 फीसदी के बजाय करीब पचास से सौ फीसदी तक या इससे अधिक करने के पीछे ट्रंप प्रशासन का महज संरक्षणवाद नहीं है, यह आर्थिक रूप से व्यवहार्य और राजनीतिक रूप से विश्वसनीय माने जाने वाले साझेदारों की ओर एक सुनियोजित झुकाव भी है और भारत इसमें बिल्कुल फिट बैठता है। भारत ने भी इस बदलाव को देखते हुए गहन ढांचागत सुधारों और लक्षित प्रोत्साहन योजनाओं के जरिये वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में उभरने के लिए आधार तैयार कर लिया है। 1.97 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय वाली उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटो घटकों से लेकर फार्मास्यूटिकल्स तथा सौर मॉड्यूल जैसे 14 महत्वपूर्ण क्षेत्रों में फैली हुई है। भारत का इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद 26.6 फीसदी वृद्धि के साथ 29.1 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। एपल ने भारत में आईफोन उत्पादन में नाटकीय रूप से वृद्धि की है, जिसके 2020 के वैश्विक उत्पादन के एक प्रतिशत से बढ़कर 2026 तक 25 प्रतिशत होने की उम्मीद है। एपल के प्रमुख अनुबंध निर्माता फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन तमिलनाडु और कर्नाटक में अपना विस्तार कर रहे हैं। सैमसंग, डेल और एचपी जैसी वैश्विक दिग्गज कंपनियां भी भारत में अपनी आपूर्ति शृंखलाएं स्थापित कर रही हैं। भारत की आर्थिक बुनियाद उसे चीन का विकल्प बनाती है। चीन के बजाय भारत में श्रम लागत तीस से चालीस फीसदी कम है। साथ ही, भारत की औसत युवा आयु 28.4 वर्ष, तो चीन की 39 वर्ष है, जो उद्योगों के दीर्घकाल के लिए जनसांख्यिकीय लाभांश प्रदान करती है। भारत ने लॉजिस्टिक्स व बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण उन्नति की है। गति शक्ति, भारतमाला और सागरमाला जैसी प्रमुख पहलों का उद्देश्य लॉजिस्टिक्स लागत में कटौती करना है, जो वर्तमान में सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 13-14 फीसदी है, जिसे सात से आठ फीसदी के वैश्विक मानक के करीब लाना है। समर्पित माल ढुलाई गलियारों और औद्योगिक गलियारों के विकास से सभी क्षेत्रों में कनेक्टिविटी और दक्षता बढ़ रही है। अमेरिका के साथ भारत की मजबूत होती रणनीतिक साझेदारी एक पसंदीदा आपूर्ति शृंखला साझेदार के रूप में उसकी साख को और मजबूत करती है। वर्ष 2023 में शुरू हुई इनीशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी (आईसीईटी) ने सेमीकंडक्टर, एआई और क्वांटम कंप्यूटिंग में सहयोग को बढ़ावा दिया है। भारत में लड़ाकू जेट इंजन बनाने के लिए एचएएल के साथ सौदा और गुजरात में माइक्रोन का 80 करोड़ डॉलर का सेमीकंडक्टर निवेश, भारत के तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र में अमेरिकी विश्वास का प्रतीक है। भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का क्वाड समूह भी खनिजों और उन्नत तकनीक जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आपूर्ति शृंखला लचीलेपन को मजबूत कर रहा है। चीन से कम जोखिम चाहने वाली अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत राजनीतिक विश्वसनीयता व वाणिज्यिक सुविधा का वादा करता है। भारत का अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार बढ़ रहा है। 2021 में भारत से अमेरिकी आयात 57.7 अरब डॉलर था, जो 2023 में बढ़कर 77 अरब डॉलर हो गया। भारत अब अमेरिका के शीर्ष दस व्यापार साझेदारों में है। एपल, गूगल, टेस्ला, सिस्को और इंटेल जैसी अमेरिका की दिग्गज कंपनियां भारत के इकोसिस्टम में खुद को समाहित कर रही हैं। यद्यपि मौजूदा हालात में अमेरिका समेत अन्य देशों की बहुराष्ट्रीय कंपनियों को चीन के बजाय भारत अपनी ओर आकर्षित कर रहा है, लेकिन उसके लिए चुनौतियां भी कम नहीं हैं। इसके लिए अच्छी कनेक्टिविटी, विद्युत सप्लाई, जमीन अधिग्रहण और लंबित कानूनी कार्रवाई जैसी बाधाओं को दूर कर जीएसटी का सरलीकरण करना होगा। हालांकि, राष्ट्रपति ट्रंप की नीतियों की वजह से अमेरिकी उद्योग चीन से बाहर निकलना चाहते हैं। मौजूदा परिस्थितियां भारत के लिए एशिया के वैकल्पिक विनिर्माण केंद्र के रूप में उभरने का समय है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Apr 16, 2025, 05:52 IST
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