ED: सहकारी बैंक अध्यक्ष और निदेशकों ने हड़पे ग्राहकों के पैसे, न ब्याज दिया न मूलधन लौटाया; मनमर्जी से दिए लोन

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), बेंगलुरु क्षेत्रीय कार्यालय ने मेसर्स शुश्रुति सौहार्द सहकारी बैंक नियमिथा के तत्कालीन अध्यक्ष एन श्रीनिवास मूर्ति और एन श्रीनिवास मूर्ति की करीबी रिश्तेदार रत्नम्मा की 3.62 करोड़ रुपये (लगभग) (बाजार मूल्य) की दो अचल संपत्तियों को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत कुर्क किया है। यह कार्रवाई, सहकारी बैंक के खाताधारकों के साथ धोखाधड़ी से संबंधित एक मामले में की गई है। बैंक के अध्यक्ष और निदेशकों ने कर्मियों की मिलीभगत से ग्राहकों की जमा राशि को हड़प लिया। उन्हें न तो ब्याज दिया और न ही उनका मूलधन लौटाया गया। ईडी की जांच में सामने आया है कि आरोपियों ने नियमों से परे जाकर मनमर्जी से लोन स्वीकृत किए। ईडी ने कर्नाटक पुलिस द्वारा दर्ज विभिन्न एफआईआर के आधार पर उक्त मामले की जांच शुरू की थी। आरोप लगाया गया था कि बैंक ने अपने ग्राहकों को उनके सावधि जमा या बचत खातों पर न तो ब्याज दिया और न ही मूलधन वापस किया। यह भी आरोप था कि शुश्रुति सौहार्द सहकारी बैंक नियमिथा के अध्यक्ष और निदेशकों ने बैंक के कर्मचारियों के साथ मिलीभगत करके बैंक के ग्राहकों द्वारा की गई जमा राशि को हड़प लिया। पीएमएलए, 2002 के तहत जांच के दौरान ईडी ने पाया कि एन श्रीनिवास मूर्ति, उनकी पत्नी धारिणी देवी और उनकी बेटी मोक्षतारा, जो क्रमशः शुश्रुति सौहार्द सहकारी बैंक नियमिथा के अध्यक्ष, निदेशक और कार्यात्मक निदेशक हैं, उक्त बैंक से धन के हेर-फेर में सहायक थे। जांच से यह भी पता चला कि एन श्रीनिवास मूर्ति ने विभिन्न वित्तीय संस्थाएं स्थापित कीं, जैसे श्रुति सौहार्द क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी, श्री लक्ष्मी महिला को-ऑप सोसाइटी (श्रीनिवास मूर्ति की करीबी रिश्तेदार सुश्री रत्नम्मा द्वारा प्रबंधित) इत्यादि। विभिन्न जमाकर्ताओं से केवल उन्हें धोखा देने के लिए उनकी जमा राशि स्वीकार की। यह भी पता चला कि श्रीनिवास मूर्ति और अन्य लोग अपने करीबी सहयोगियों के नाम पर, उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना और कभी-कभी बिना किसी संपार्श्विक के ऋण स्वीकृत करते थे। एन श्रीनिवास मूर्ति और अन्य लोग उक्त ऋण राशि से अपने नाम पर संपत्तियां पंजीकृत कराते थे।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Sep 11, 2025, 17:32 IST
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