Gurugram: बैंकों को नुकसान पहुंचाने पर रिचा इंडस्ट्रीज के आठ ठिकानों पर छापा, प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) गुरुग्राम कार्यालय की टीम ने गुरुग्राम व फरीदाबाद में मैसर्स रिचा इंडस्ट्रीज लि. (आरआईएल) से जुड़े आठ ठिकानों पर पीएमएलए, 2002 के प्रावधानों के तहत सर्च ऑपरेशन चलाया। यह सर्च ऑपरेशन मैसर्स रिचा इंडस्ट्रीज लि. के प्रमोटरों संदीप गुप्ता, मनीष गुप्ता व सुशील गुप्ता और इसकी समूह कंपनियों में भी चलाया गया। ईडी ने दस्तावेज, आठ लाख रुपये नकदी और चार महंगी कारें भी जब्त की हैं। ईडी की टीमों ने सीबीआई की ओर से विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज प्राथमिकी के आधार पर आरोपी व्यक्तियों द्वारा आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और आपराधिक कदाचार के अपराधों के लिए जांच शुरू की, जिससे उन्होंने खुद भारी लाभ कमाया और बैंकों को 50.54 करोड़ रुपये का पर्याप्त नुकसान पहुंचाया। वर्ष 2015 से वर्ष 2018 के दौरान 236 करोड़ रुपये, तलाशी के दौरान निष्कर्ष और ईडी द्वारा की गई जांच में संदीप गुप्ता, मनीष गुप्ता और परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा आरआईएल (रिचा इंडस्ट्रीज लिमिटेड) की संपत्ति को हड़पने और कॉर्पोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) को विफल करने के लिए एक साजिश का पर्दाफाश हुआ। कथित तौर पर प्रमोटरों ने एक शेल कंपनी, मेसर्स सारीगा कंस्ट्रक्शन प्रा. लि. (एससीपीएल) को शामिल किया। इसमें आरआईएल के एक पूर्व कर्मचारी को बेनामीदार के रूप में इस्तेमाल किया गया। जांच में पाया कि समन्वित प्रयासों के माध्यम से, एससीपीएल ने धोखाधड़ी से लेनदारों की समिति (सीओसी) में वोटिंग अधिकार हासिल कर लिए, जिससे गुप्ता परिवार सीआईआरपी को अपने पक्ष में बाधित करने और प्रभावित करने में सक्षम हो गया। जांच में सामने आया कि दिवालियापन अवधि के दौरान, उन्होंने कथित रूप से आरआईएल के संचालन पर अनाधिकृत नियंत्रण बनाए रखा, समझौते किए और वैधानिक मानदंडों का स्पष्ट उल्लंघन करते हुए पारिश्रमिक प्राप्त किया। रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल, अरविंद कुमार, प्रमोटर्स के साथ मिलीभगत करते हुए पाए गए, उन्होंने ट्रांजैक्शन ऑडिट रिपोर्ट में कई धोखाधड़ी वाले सौदों का खुलासा होने के बावजूद, बचने के लिए एप्लीकेशन फाइल नहीं की। सबूत यह भी बताते हैं कि अपराध से होने वाली कमाई के माध्यम से भेजी गई, जिसने बाद में आरआईएल को फिर से खरीदने के लिए एक रिजॉल्यूशन प्लान जमा किया, जो एक प्रॉक्सी एंटिटी के माध्यम से कंट्रोल वापस पाने की एक स्ट्रेटेजिक कोशिश का संकेत है। इसके अलावा, प्रमोटर्स संदीप गुप्ता, मनीष गुप्ता व श्वेता गुप्ता ने कथित तौर पर बैंक की देनदारियों से इम्यूनिटी पाने के लिए जरूरी एसेट की जानकारी छिपाकर व्यक्तिगत दिवालियापन कार्यवाही के दौरान धोखाधड़ी वाले एफिडेविट जमा किए। 40 लाख से ज्यादा का क्रेडिट बैलेंस भी फ्रीज जांच के दौरान कई डिजिटल डिवाइस और गलत दस्तावेज जैसे डायरेक्टर्स के पास मौजूद एसेट्स, फाइल किए गए क्लेम, ऑडिटेड फाइनेंशियल्स, ग्रुप कंपनियों का टैली डाटा, गुप्ता परिवार की शेल कंपनियां, लीगल रिकॉर्ड, धोखाधड़ी वाले एफिडेविट, कंपनी से फंड का डायवर्जन आदि बरामद और सीज किए गए। इसके अलावा प्रमोटरों व उनसे जुड़े लोगों के कई बैंक खाते, जिनमें 40 लाख रुपये से ज्यादा का क्रेडिट बैलेंस था। उन्हें भी फ्रीज किया गया। ईडी की टीम ने आठ लाख रुपये नकदी के साथ गुप्ता परिवार की ओर से इस्तेमाल होने वाली संबंधित कंपनियों व बेनामी कंपनियों की चार महंगी कारें भी जब्त की हैं।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Dec 07, 2025, 02:51 IST
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