US-India Ties: भारत कोई छोटा देश नहीं...ट्रंप के बदले सुर से संबंधों में सुधार की उम्मीद, विशेषज्ञों की राय
भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अच्छा दोस्त बताने वाली अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टिप्पणी को विशेषज्ञ एक सकारात्मक संकेत मान रहे हैं। उनका कहना है कि ट्रंप के बदले सुर से दोनों देशों के बिगड़े रिश्ते फिर से पटरी पर आ सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बयान से कुछ ही घंटे पहले ट्रंप का यह कहना कि हमने भारत-रूस को चीन के हाथों गवां दिया, नई दिल्ली की बढ़ती अहमियत को ही दर्शाता है। पश्चिम एशिया के विशेषज्ञ रणनीतिकार वाएल अव्वाद ने शनिवार को कहा कि ट्रंप की टिप्पणी स्पष्ट करती है कि भारत कोई छोटा-मोटा देश नहीं, बल्कि एक उभरती शक्ति है। अमेरिका ऐसी ताकत को खोने जोखिम नहीं उठा सकता। आखिरकार पिछले तीन दशकों से अमेरिका भी इन संबंधों को सुधारने और सामान्य बनाने की कोशिश कर रहा है। वहीं, पूर्व राजनयिक केपी फैबियन ने कहा कि ट्रंप की टिप्पणियों को विरोधाभासी बताया और उन्हें बहुत ज्यादा तवज्जो ने देने का आग्रह किया। हालांकि, ट्रंप के बयान पर प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया को फैबियन ने एकदम सटीक बताया। फैबियन ने कहा कि पीएम मोदी ने बेहतरीन कूटनीतिक अंदाज में जवाब दिया है। उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप की शैली मुझे अरस्तू की याद दिलाती है, जिन्होंने कहा था कि अगर आप खुद का खंडन करते हैं तो मुझे आपका खंडन करने की जरूरत नहीं है। ट्रंप बार-बार बयान बदलते रहते हैं इसलिए उनकी बातों को नीतिगत बदलाव जैसे गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए। फ्रांस और मोनाको में भारत के राजदूत रह चुके जावेद अशरफ का मानना है कि ट्रंप ने जिस तरह भारत के साथ रिश्ते को बेहद खास बताया और कहा है कि इस बारे में चिंता करने की जरूरत हैं, वो स्वागत योग्य है। यह अमेरिकी पक्ष की तनाव घटाने की कोशिशों को दर्शाता है। ये भी पढ़ें:देश के कई राज्यों में मौसम की मार:पहाड़ से मैदान तक हर तरफ तबाही, अब तक 500+ मौतें; हजारों करोड़ के नुकसान सुलह की उम्मीद के साथ अनिश्चितता भी बरकरार पूर्व राजनयिक टीपी श्रीनिवासन ने ताजा घटनाक्रम को एक अच्छी खबर बताया। उन्होंने कहा, राष्ट्रपति ट्रंप के मन में बदलाव दिख रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर कुछ बहुत ही सकारात्मक बयान दिए हैं, जो दर्शाता है कि इन मुद्दों पर एक समझ बन सकती है। हालांकि, वह इस मामले में बहुत विश्वसनीय नहीं हैं क्योंकि उनके बयान बार-बार बदलते भी रहते हैं। जब वह नरम रुख अपनाते हैं, तब भी उनके सलाहकार सख्त रुख अपनाते हैं। यह देखकर खुशी हो रही है कि हम अमेरिका को छोड़कर चीन और रूस की ओर नहीं बढ़ रहे हैं। ये भी पढ़ें:BJP Workshop:आज नई दिल्ली में जुटेंगे भाजपा सांसद; पीएम मोदी को जीएसटी सुधारों के लिए किया जाएगा सम्मानित संबंध सामान्य होने में वक्त लगेगा भले ही ट्रंप के सहयोगियों ने भारत के खिलाफ लगातार आक्रामक और अपमानजनक अभियान चलाया, मगर ट्रंप ने कभी पीएम मोदी पर व्यक्तिगत हमला नहीं बोला। यह सच है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के रुख में दिख रही नरमी का कारण चीन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पीएम मोदी के बीच दिखी केमिस्ट्री था। अब अगर दोनों देश सकारात्मक भाव से आगे भी बढ़े, तब भी संबंध सामान्य होने में लंबा समय लग जाएगा। अमेरिका ने जिस आधार पर टैरिफ लगाकर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की है, उस मामले में भारत पहले की तरह अपने रुख पर डटा है। मसलन रूस से तेल की खरीदारी बंद नहीं हुई। अमेरिका के बयानों पर पलटवार भी जारी है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Sep 07, 2025, 06:43 IST
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