तलाक, गुजारा भत्ता और बच्चों की कस्टडी: पति-पत्नी के झगड़े, फिर कोर्ट कचहरी; टूटने की कगार पर 10 हजार शादियां
पति पत्नी के बीच पारिवारिक विवाद तेजी से बढ़ रहे हैं। छोटी-छोटी बातों पर शुरू हुए झगड़े अब सीधे अदालत की चौखट तक पहुंच रहे हैं। दीवानी स्थित परिवार न्यायालय में पिछले 6 वर्षों में 30 हजार से अधिक मुकदमे दर्ज किए गए हैं। कुछ दिन पहले हाईकोर्ट ने भी इस पर चिंता जताई थी। प्रदेश में लंबित मुकदमों की जानकारी मांगी थी। पारिवारिक न्यायालयों में इस समय करीब 10 हजार से अधिक मुकदमों की सुनवाई चल रही है। इनमें तलाक, गुजारा भत्ता, बच्चों की कस्टडी व संरक्षण से जुड़े विवाद ज्यादा हैं। माता-पिता ने अपने बच्चों से गुजारा भत्ते की मांग को लेकर भी अदालत का रुख अपनाया है। पुलिस भी केस दर्ज करने से पहले परिवार परामर्श केंद्र में काउंसलिंग कराती है। अगर काउंसलिंग न कराई जाए तो संख्या और बढ़ जाएगी। ये भी पढ़ें -भाभी ने उजाड़ दी दुनिया:कमरे में बुलाकर काटा था देवर का प्राइवेट पार्ट, एम्स में हुआ ऑपरेशन; अब ऐसी है हालत केस:1-विनिता ने पति से अलगाव के बाद वर्ष 2014 में भरण-पोषण भत्ता पाने के लिए परिवार न्यायालय में वाद दायर किया था। वर्ष 2018 में 7 हजार रुपये भत्ता तय हुआ जो वर्ष 2022 में 11 हजार हो गया। दो लाख रुपये से अधिक भत्ते की रकम बाकी है। हर माह भत्ता समय से नहीं मिल रहा है। केस:2-सिकंदरा थाना क्षेत्र की युवती की शादी 2019 में दिल्ली में हुई थी। कारोबारी पति से वर्ष 2023 में विवाद के बाद मायके आ गई। पति लेने नहीं आया तो परिवार न्यायालय में वाद दायर कर दिया। काउंसलिंग में दोनों ने एक-दूसरे पर आरोप लगाए। पत्नी ने पति पर शराब पीकर मारपीट करने के आरोप लगाए तो पति ने पत्नी पर अंजान से फोन पर बात करने का आरोप लगाया। पिछले 6 वर्षों में दायर मुकदमों की संख्या 2020: लगभग 3,700 2021: 5,000 2022: 5,000 2023: 6,200 2024: 6,600 2025: अब तक 5 हजार से अधिक
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 21, 2025, 06:18 IST
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