Urdu Poetry: हम एक शहर में जब साँस ले रहे होंगे
हम एक शहर में जब साँस ले रहे होंगे हमारे बीच ज़मानों के फ़ासले होंगे वो चाहता तो ये हालात ठीक हो जाते बिछड़ने वाले सभी ऐसा सोचते होंगे ये बेबसी से तिरी राह देखने वाले गए दिनों में तिरे ख़्वाब देखते होंगे कहा भी था कि ज़ियादा क़रीब मत आओ बताया था कि तुम्हें मुझ से मसअले होंगे वही सिफ़ात-ओ-ख़साइल हैं और वही लहजे ये लोग पहले कभी भेड़िये रहे होंगे ~ फ़रीहा नक़वी
- Source: www.amarujala.com
- Published: Apr 01, 2025, 16:22 IST
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