वन अधिकार कानून : ग्रामीणों को मिला अपना हक समझने का मौका

थुनाग (मंडी)। सराज क्षेत्र में वन अधिकार अधिनियम-2006 को लेकर ग्रामीणों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। बुधवार को बालीचौकी में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में बालीचौकी, कांडा, खणी, माणी और देवधार पंचायतों की वन अधिकार समितियों के दर्जनों सदस्यों को कानून की बारीकियां आम बोलचाल की भाषा में समझाई गईं।कार्यशाला में मुख्य संसाधन व्यक्ति एवं पीपुल्स फॉर हिमालयन डेवलपमेंट के संदीप मिन्हास ने साफ शब्दों में कहा कि ये कानून जंगल में सदियों से रह रहे हमारे लोगों का है। अब वन अधिकार समिति को खुद आगे आना है। दावे आमंत्रित करने की प्रक्रिया शुरू करें। जिस जमीन पर 25 दिसंबर 2005 से पहले से खेती कर रहे हैं या तीन पीढ़ियों से जंगल पर निर्भर हैं, उस पर आपका कानूनी हक है। हम आज यही सिखा रहे हैं कि फॉर्म कैसे भरें, पुराने रिकॉर्ड, गवाहियां, जीपीएस कोऑर्डिनेट कैसे लगाएं और पटवारी-वनरक्षक से कैसे काम लें। हजारों दावे सिर्फ छोटी-छोटी कागजी खामियों की वजह से लटके पड़े हैं। अब हम इन्हें पास करवाकर रहेंगे।पूर्व जिला स्तरीय समिति सदस्य संतराम ने ग्रामीणों का जोश बढ़ाते हुए कहा कि ग्राम सभाओं को इतना मजबूत बना रहे हैं कि कोई अधिकारी मनमाने तरीके से दावा खारिज नहीं कर पाएगा। आने वाले दो-तीन महीनों में सराज क्षेत्र की सैकड़ों ग्राम सभाएं खुद दावे आमंत्रित करने की प्रक्रिया शुरू कर देंगी और लंबे समय से लटके हजारों व्यक्तिगत व सामुदायिक दावों को मंजूरी दिलवाई जाएगी।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 19, 2025, 23:22 IST
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