वैदिक मंत्रों से वैश्विक स्वास्थ्य अर्थव्यवस्था तक सनातन विजडम की पहल
तनाव, चिंता और अवसाद जैसी मानसिक समस्याएं आज दुनिया भर में तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसे में साइड इफेक्ट के बिना और वैकल्पिक स्वास्थ्य समाधानों की मांग लगातार बढ़ रही है। एक ताजारिपोर्ट के अनुसार साउंड हीलिंग मार्केट 2024 में 2.26 अरब डॉलर से बढ़कर 2034 तक 4.8 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। इस दौरान इसकी सालाना वृद्धि दर (CAGR) 7–8% रहने का अनुमान है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का अनुमान है कि केवल अवसाद के कारण उत्पादकता की हानि से वैश्विक अर्थव्यवस्था को हर साल करीब 1 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ रहा है। अमेरिका और यूरोप में साउंड बाथ, गोंग थेरेपी और बाइनॉरल बीट्स जैसे विकल्प तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं, जबकि भारत अपनी वैदिक परंपरा से इसे वैज्ञानिक आधार देने का प्रयास कर रहा है। भारत से नई दिशा: सनातन विजडम भारत की गैर-लाभकारी संस्था सनातन विजडम (Sanatan Wisdom) इस क्षेत्र में एक नया मार्ग दिखा रही है। इसे दार्शनिक-संगीतकार देवऋषि और समाजसेवी साधना पांडेय ने मिलकर स्थापित किया है। संस्था का आधार है देवऋषि की सोनिक फिलोसोफी जो यह मानती है कि चेतना स्वयं नाद (ध्वनि) का स्वरूप है और ध्वनि कंपन से उपचार किया जा है। संस्थान ने अपने कार्यक्रमों को इस तरह संरचित किया है कि वे सीधे CSR और सामुदायिक स्वास्थ्य मॉडल से जुड़ सकें। इसमें ग्रामीण महिलाओं के लिए विशेष साउंड रिट्रीट, गर्भवती माताओं के लिए वेलनेस कार्यक्रम और विद्यालयों में मंत्र-आधारित चिकित्सा शामिल हैं। इन कार्यक्रमों के प्रभाव को मापने के लिए संस्था आधुनिक चिकित्सा तकनीकों का उपयोग कर रही है, जैसे: * EEG (इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राफी) – मस्तिष्क की तरंगों का अध्ययन * ECG (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम) – हृदय की धड़कनों का परीक्षण * कंप्यूटरीकृत टोमोग्राफी (CT Scan) – शरीर की आंतरिक गतिविधियों का विश्लेषण * HRV (हार्ट रेट वेरिएबिलिटी) – हृदय की लय और तनाव स्तर का आकलन नाद यज्ञ: मंत्र चिकित्सा का वैज्ञानिक परीक्षण सनातन विजडम ने मंत्र चिकित्सा को वैज्ञानिक आधार देने के लिए विशेष नाद यज्ञ कार्यक्रम शुरू किए हैं। अक्टूबर 2025 में उज्जैन, नवंबर में वाराणसी तथा दिसंबर 2025 में हरिद्वार में यह यज्ञ आयोजित होंगे। इनका मुख्य उद्देश्य विभिन्न मंत्रों के शारीरिक और मानसिक प्रभाव को दर्ज करना है। इसके बाद, ग्लोबल नाद यज्ञ मार्च 2026 में आयोजित किया जाएगा, जो एक विशाल sonic experiment होगा। इसका उद्देश्य है कि मंत्र चिकित्सा को वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित कर वैश्विक मंच पर स्थापित किया जाए और साथ ही शास्त्रीय संगीत के उपचारात्मक प्रभाव को भी प्रस्तुत किया जाए। इन परीक्षणों के अंतर्गत: * 108 वैदिक ब्राह्मणों द्वारा सामूहिक मंत्रोच्चार * रागों के माध्यम से मानसिक संतुलन * गर्भवती महिलाओं के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की जाँच * भ्रूण पर ध्वनि के प्रभाव की सोनोग्राफी द्वारा जांच * म्यूजिक थेरेपी का वैज्ञानिक परीक्षण इन कार्यक्रमों में वैज्ञानिकों, संगीतकारों, चिकित्सकों, धर्मगुरुओं, WHO और आयुष मंत्रालय के प्रतिनिधियों की भागीदारी की भी संभावना है। सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था में योगदान सनातन विजडम केवल स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था में भी सक्रिय है। इसका कृष्ण पथ प्रोजेक्ट, मध्यप्रदेश सरकार की श्रीकृष्ण पाथेय योजना से प्रेरित है। इसमें मथुरा से द्वारका तक कृष्ण से जुड़े तीर्थ स्थलों का दस्तावेजीकरण कर उन्हें आध्यात्मिक पर्यटन से जोड़ने की योजना है। आगे की राह इन आयोजनों के लिए संस्था स्पॉन्सरशिप और CSR सहयोग की अपेक्षा कर रही है, ताकि भारत की प्राचीन ध्वनि परंपरा को 21वीं सदी की मानसिक स्वास्थ्य क्रांति के रूप में स्थापित किया जा सके। ग्लोबल वेलनेस इंडस्ट्री का आकार आज 5 ट्रिलियन डॉलर से अधिक है और भारत में कॉर्पोरेट CSR बजट का करीब 12% हिस्सा स्वास्थ्य व वेलनेस परियोजनाओं पर खर्च होता है। ऐसे में मंत्र-आधारित ध्वनि चिकित्सा न केवल मानसिक स्वास्थ्य समाधान बन सकती है बल्कि बड़े स्तर पर निवेश और CSR सहयोग भी आकर्षित कर सकती है। देवऋषि का कहना है "हमारा लक्ष्य है कि मंत्र चिकित्सा को वैज्ञानिक रूप से विश्वसनीय और वैश्विक स्तर पर लागू करने योग्य बनाया जाए, ताकि यह मानसिक स्वास्थ्य और समाज दोनों को वास्तविक लाभ पहुंचा सके।"
- Source: www.amarujala.com
- Published: Sep 08, 2025, 14:59 IST
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