Rahul Gandhi Security: अब हर 15 दिन में गांधी परिवार की सुरक्षा समीक्षा, SPG कवर में सैंकड़ों दफा मनमर्जी...
देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल 'सीआरपीएफ', जिसे गांधी परिवार की सुरक्षा की जिम्मेदारी मिली है, ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को एक पत्र लिखा है। इसमें लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की विदेश यात्राओं के दौरान सुरक्षा प्रोटोकॉल के उल्लंघन का जिक्र है। उनकी सुरक्षा के मद्देनजर, इसे गंभीर चिंता का विषय बताया गया है। पत्र में राहुल गांधी की भविष्य की यात्राओं के दौरान सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित करने की अपील की गई है।विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, सीआरपीएफ द्वारा हर 15 दिन में गांधी परिवार के उल्लंघन से संबंधित समीक्षा रिपोर्ट तैयार की जाती है। इस रिपोर्ट को त्वरित गति से संबंधित अधिकारी के मार्फत गृह मंत्रालय सहित तीन एजेंसियों तक पहुंचाया जाता है। जब गांधी परिवार की सुरक्षा की जिम्मेदारी 'एसपीजी' संभालती थी, तब सैंकड़ों बार सुरक्षा के मानदंडों का उल्लंघन किए जाने की बात कही गई थी। खासतौर से, अनेकों दफा बिना 'बुलेट प्रूफ वाहन' में सफर करने का मामला सामने आया था। बता दें कि 2019 के दौरान एसपीजी सुरक्षा दिए जाने के नियमों में बदलाव किया गया था। इस बाबत लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह द्वारा संशोधन बिल पेश किया गया। उसके तहत एसपीजी सुरक्षा कवर प्रधानमंत्री और उनके परिवार के सदस्यों के लिए ही उपलब्ध होगा। पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवार को भी पांच साल की अवधि के लिए एसपीजी सुरक्षा मिलेगी। तब गांधी परिवार को मिली एसपीजी सुरक्षा हटा ली गई थी। सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी को सीआरपीएफ की जेड प्लस सुरक्षा मुहैया कराई गई थी। इसके बाद, गांधी परिवार का कौन सा सदस्य बुलेट प्रूफ वाहन में गया है या नहीं या किसी ने सुरक्षा कर्मी को साथ ले जाने से मना किया है, दिल्ली से बाहर के दौरे की सूचना तय समय पर दी है या नहीं, इन सभी बातों की रिपोर्ट त्वरित गति से आगे पहुंचने लगी। हर 15 दिन में उल्लंघन से संबंधित समीक्षा रिपोर्ट तैयार की गई। 2019 में केंद्र सरकार के सूत्रों ने बताया था कि एसपीजी होते हुए भी गांधी परिवार ने सुरक्षा को लेकर कई बार जोखिम उठाया था। यह बात कही गई कि गांधी परिवार के सदस्य, एसपीजी के नियमों का लगातार उल्लंघन करते रहे हैं। कई बार तो यह भी देखने को मिला कि सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति कहीं जाने के लिए अपनी गाड़ी में जाकर बैठ गया, लेकिन उन्हें कहां जाना है, यह जानकारी एसपीजी के पास नहीं थी। इतना ही नहीं, सैकड़ों बार ये भी हुआ कि वे एसपीजी को अपने साथ ही नहीं ले गए। राहुल गांधी ने 2005-2014 के दौरान कई बार गैर-बीआर (बुलेट प्रतिरोधी) वाहनों में सफर किया। उन्होंने गैर-बीआर वाहन में सवार होकर देश के विभिन्न हिस्सों की 18 यात्राएं की थी। यह कदम उनकी जान के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकता था। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने एसपीजी की सलाह को दरकिनार किया। केवल दिल्ली की बात करें, तो राहुल गांधी ने 2015 से मई 2019 तक 247 बार बिना बुलेट प्रूफ गाड़ी में सफर किया। इसी तरह सोनिया गांधी ने 50 बार और प्रियंका गांधी ने 403 बार एसपीजी द्वारा तैयार बुलेट प्रूफ वाहन का इस्तेमाल नहीं किया। सीआरपीएफ की सुरक्षा मिलने के बाद हर दो सप्ताह में जो रिपोर्ट तैयार होती है, उसमें कई बातें शामिल होती हैं। हालांकि ये सब बातें सुरक्षा के लिहाज से बेहद संवेदनशील होती हैं। जैसे सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति किस समय कहां पर जा रहा है, उसने सुरक्षाकर्मी साथ ले जाने से क्यों इंकार किया, उस वक्त परिस्थितियां कैसी थीं, क्या उस दौरान संबंधित व्यक्ति के लिए किसी खतरे का अलर्ट तो जारी नहीं हुआ था, आदि। अगर सुरक्षाकर्मी, पायलट या एस्कोर्ट के तौर पर साथ जाने के लिए तैयार हैं और उन्हें मना कर दिया गया है, यात्रा शुरु होने से कितनी देर पहले सुरक्षाकर्मियों को जानकारी दी गई है, आदि बातें समीक्षा रिपोर्ट में रहती हैं। इसके अलावा दिल्ली से बाहर कहां जाना है, वापसी का प्रोग्राम और रुट यानी हवाई या सड़क मार्ग, ये जानकारी 24 घंटे पहले सुरक्षा दल के पास पहुंच जानी चाहिए। यदि कोई भी व्यक्ति इन बातों का उल्लंघन करता है तो वह सूचना उसी वक्त आईजी 'सुरक्षा' को भेजी जाती है। एक प्रति दो अन्य एजेंसियों के पास पहुंचती हैं। सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी 2005 से लेकर 2014 तक 18 बार गैर-बीआर वाहन में बैठकर देश के विभिन्न हिस्सों में गए थे। 2015 से 2019 तक वे दिल्ली में अलग अलग स्थानों पर 1892 बार गए थे। इनमें से उन्होंने 247 बार गैर-बीआर वाहन में यात्रा की। केंद्र की रिपोर्ट के मुताबिक, इसके अलावा राहुल गांधी ने मोटर वाहन अधिनियम और सुरक्षा सलाह के प्रावधानों का उल्लंघन कर कुछ अवसरों पर वाहन की छत पर बैठकर यात्रा की थी। चार अगस्त 2017 को बनासकांठा (गुजरात) में अपनी यात्रा के दौरान, जब वे एक गैर-बीआर कार में यात्रा कर रहे थे, तब वहां एक पथराव की घटना हुई थी। इसमें एसपीजी पीएसओ घायल हो गया था। अगर वह गाड़ी बुलेट प्रूफ होती तो पीएसओ को चोट से बचा जा सकता था। राहुल गांधी ने अप्रैल 2015 से जून 2017 के बीच अपनी 121 यात्राओं में से 100 अवसरों के लिए एसपीजी के बीआर वाहनों का लाभ नहीं उठाया। 1991 के बाद अब तक की कुल 156 विदेशी यात्राओं में से उन्होंने 143 यात्राओं पर एसपीजी अधिकारियों को साथ नहीं लिया। इन 143 विदेशी यात्राओं में से अधिकांश यात्राओं का कार्यक्रम उन्होंने अंतिम समय पर एसपीजी के साथ साझा किया। सोनिया गांधी ने 2015 से मई 2019 तक दिल्ली में ही कहीं पर जाने के लिए 50 अवसरों पर एसपीजी बीआर वाहन का उपयोग नहीं किया। उक्त अवधि में उन्होंने देश के विभिन्न स्थानों पर 13 अनिर्धारित यात्राएं कीं, जिसके दौरान उन्होंने गैर-बीआर कारों का इस्तेमाल किया। उन्होंने 2015 के बाद से अपनी 24 विदेश यात्राओं में एसपीजी को साथ नहीं लिया। प्रियंका गांधी ने 2015 से मई 2019 तक, दिल्ली के भीतर ही 339 अवसरों पर और देश के अन्य स्थानों पर 64 यात्राओं के लिए एसपीजी के गैर-बीआर वाहनों का उपयोग नहीं किया था। केंद्र सरकार का यह आरोप भी था कि इन यात्राओं के दौरान प्रियंका गांधी ने एसपीजी अधिकारियों की सलाह के विरुद्ध काम किया। 2019 तक कुल 99 विदेशी यात्राओं में से उन्होंने केवल 21 मौकों पर ही एसपीजी सुरक्षा कवर लिया। बाकी की 78 यात्राओं के लिए उन्होंने सुरक्षा लेने से इंकार कर दिया। इस तरह के अधिकांश दौरों पर प्रियंका ने अंतिम वक्त पर अपनी यात्रा की योजना साझा की। ऐसे में एसपीजी के लिए उनकी सुरक्षा का घेरा तैयार करना असंभव हो गया। मई 2014 के बाद से कई मौकों पर उन्होंने एसपीजी अधिकारियों पर आरोप लगाए थे कि वे उसकी व्यक्तिगत और गोपनीय जानकारी एकत्र कर रहे हैं।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Sep 11, 2025, 17:30 IST
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