Ganesh Ji 108 Names: पूजा में करें श्री गणेश के 108 नाम का जाप, पूर्ण होंगे सभी कार्य

Ganesh Ji 108 Names In Sanskrit: हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत गणपति जी की पूजा और स्मरण से किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव ने स्वयं गणेश जी को यह वरदान दिया था कि समस्त देवताओं में सबसे पहले उनको ही पूजा जाएगा। तभी से किसी भी धार्मिक अनुष्ठान, व्रत, हवन या मांगलिक कार्य में श्री गणेश की आराधना से ही कार्य शुरू किया जाता है। इनके बिना हर कार्य अधूरा समझा जाता है। गणेश जी विघ्नहर्ता हैं उनके स्मरण मात्र से ही जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं। Ganesh Chaturthi 2025:आज से गणेशोत्सव आरंभ, जानिए गणेश स्थापना का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र गणेश जी के 108 पावन नामों के जप से जीवन में सफलता और सकारात्मकता का संचार होता है। इससे न केवल मन और आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में आत्मविश्वास का भी संचार होता है। श्री गणेश के 108 नाम गजानन- ॐ गजाननाय नमः । गणाध्यक्ष- ॐ गणाध्यक्षाय नमः । विघ्नराज- ॐ विघ्नराजाय नमः । विनायक- ॐ विनायकाय नमः । द्वैमातुर- ॐ द्वैमातुराय नमः । द्विमुख- ॐ द्विमुखाय नमः । प्रमुख- ॐ प्रमुखाय नमः । सुमुख-ॐ सुमुखाय नमः । कृति- ॐ कृतिने नमः । सुप्रदीप- ॐ सुप्रदीपाय नमः सुखनिधी- ॐ सुखनिधये नमः । सुराध्यक्ष- ॐ सुराध्यक्षाय नमः । सुरारिघ्न- ॐ सुरारिघ्नाय नमः । महागणपति- ॐ महागणपतये नमः । मान्या- ॐ मान्याय नमः । महाकाल- ॐ महाकालाय नमः । महाबला- ॐ महाबलाय नमः । हेरम्ब- ॐ हेरम्बाय नमः । लम्बजठर- ॐ लम्बजठरायै नमः । ह्रस्वग्रीव- ॐ ह्रस्व ग्रीवाय नमः महोदरा- ॐ महोदराय नमः । मदोत्कट- ॐ मदोत्कटाय नमः । महावीर- ॐ महावीराय नमः । मन्त्रिणे- ॐ मन्त्रिणे नमः । मङ्गल स्वरा- ॐ मङ्गल स्वराय नमः । प्रमधा- ॐ प्रमधाय नमः । प्रथम- ॐ प्रथमाय नमः । प्रज्ञा- ॐ प्राज्ञाय नमः । विघ्नकर्ता- ॐ विघ्नकर्त्रे नमः । विघ्नहर्ता- ॐ विघ्नहर्त्रे नमः विश्वनेत्र- ॐ विश्वनेत्रे नमः । विराट्पति- ॐ विराट्पतये नमः । श्रीपति- ॐ श्रीपतये नमः । वाक्पति- ॐ वाक्पतये नमः । शृङ्गारिण- ॐ शृङ्गारिणे नमः । अश्रितवत्सल- ॐ अश्रितवत्सलाय नमः । शिवप्रिय- ॐ शिवप्रियाय नमः । शीघ्रकारिण- ॐ शीघ्रकारिणे नमः । शाश्वत - ॐ शाश्वताय नमः । बल- ॐ बल नमः बलोत्थिताय- ॐ बलोत्थिताय नमः । भवात्मजाय- ॐ भवात्मजाय नमः । पुराण पुरुष- ॐ पुराण पुरुषाय नमः । पूष्णे- ॐ पूष्णे नमः । पुष्करोत्षिप्त वारिणे- ॐ पुष्करोत्षिप्त वारिणे नमः । अग्रगण्याय- ॐ अग्रगण्याय नमः । अग्रपूज्याय- ॐ अग्रपूज्याय नमः । अग्रगामिने- ॐ अग्रगामिने नमः । मन्त्रकृते- ॐ मन्त्रकृते नमः । चामीकरप्रभाय- ॐ चामीकरप्रभाय नमः सर्वाय- ॐ सर्वाय नमः । सर्वोपास्याय- ॐ सर्वोपास्याय नमः । सर्व कर्त्रे- ॐ सर्व कर्त्रे नमः । सर्वनेत्रे- ॐ सर्वनेत्रे नमः । सर्वसिद्धिप्रदाय- ॐ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः । सिद्धये- ॐ सिद्धये नमः । पञ्चहस्ताय- ॐ पञ्चहस्ताय नमः । पार्वतीनन्दनाय- ॐ पार्वतीनन्दनाय नमः । प्रभवे- ॐ प्रभवे नमः । कुमारगुरवे- ॐ कुमारगुरवे नमः अक्षोभ्याय- ॐ अक्षोभ्याय नमः । कुञ्जरासुर भञ्जनाय- ॐ कुञ्जरासुर भञ्जनाय नमः । प्रमोदाय- ॐ प्रमोदाय नमः । मोदकप्रियाय- ॐ मोदकप्रियाय नमः । कान्तिमते- ॐ कान्तिमते नमः । धृतिमते- ॐ धृतिमते नमः । कामिने- ॐ कामिने नमः । कपित्थपनसप्रियाय- ॐ कपित्थपनसप्रियाय नमः । ब्रह्मचारिणे- ॐ ब्रह्मचारिणे नमः । ब्रह्मरूपिणे- ॐ ब्रह्मरूपिणे नमः ब्रह्मविद्यादि दानभुवे- ॐ ब्रह्मविद्यादि दानभुवे नमः । जिष्णवे- ॐ जिष्णवे नमः । विष्णुप्रियाय- ॐ विष्णुप्रियाय नमः । भक्त जीविताय- ॐ भक्त जीविताय नमः । जितमन्मधाय- ॐ जितमन्मधाय नमः । ऐश्वर्यकारणाय- ॐ ऐश्वर्यकारणाय नमः । ज्यायसे- ॐ ज्यायसे नमः । यक्षकिन्नेर सेविताय- ॐ यक्षकिन्नेर सेविताय नमः। गङ्गा सुताय- ॐ गङ्गा सुताय नमः । गणाधीशाय- ॐ गणाधीशाय नमः गम्भीर निनदाय- ॐ गम्भीर निनदाय नमः । वटवे- ॐ वटवे नमः । अभीष्टवरदाय- ॐ अभीष्टवरदाय नमः । ज्योतिषे- ॐ ज्योतिषे नमः । भक्तनिधये- ॐ भक्तनिधये नमः । भावगम्याय- ॐ भावगम्याय नमः । मङ्गलप्रदाय- ॐ मङ्गलप्रदाय नमः । अव्यक्ताय- ॐ अव्यक्ताय नमः । अप्राकृत पराक्रमाय- ॐ अप्राकृत पराक्रमाय नमः । सत्यधर्मिणे- ॐ सत्यधर्मिणे नमः सखये- ॐ सखये नमः । सरसाम्बुनिधये- ॐ सरसाम्बुनिधये नमः । महेशाय- ॐ महेशाय नमः । दिव्याङ्गाय- ॐ दिव्याङ्गाय नमः । मणिकिङ्किणी मेखालाय- ॐ मणिकिङ्किणी मेखालाय नमः । समस्त देवता मूर्तये- ॐ समस्त देवता मूर्तये नमः । सहिष्णवे- ॐ सहिष्णवे नमः । सततोत्थिताय- ॐ सततोत्थिताय नमः । विघातकारिणे- ॐ विघातकारिणे नमः । विश्वग्दृशे- ॐ विश्वग्दृशे नमः विश्वरक्षाकृते- ॐ विश्वरक्षाकृते नमः । कल्याणगुरवे- ॐ कल्याणगुरवे नमः । उन्मत्तवेषाय- ॐ उन्मत्तवेषाय नमः । अपराजिते- ॐ अपराजिते नमः । समस्त जगदाधाराय- ॐ समस्त जगदाधाराय नमः । सर्वैश्वर्यप्रदाय- ॐ सर्वैश्वर्यप्रदाय नमः । आक्रान्त चिद चित्प्रभवे- ॐ आक्रान्त चिद चित्प्रभवे नमः । श्री विघ्नेश्वराय- ॐ श्री विघ्नेश्वराय नमः ॥ इतिश्रीगणेशाष्टोत्तरशतनामावलिः सम्पूर्णा॥ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन नामों का उच्चारण करने से यश, सम्मान, बुद्धि, विवेक और धन-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही यह जप सौभाग्य, ऐश्वर्य, पराक्रम और ज्ञान के मार्ग को भी प्रशस्त करता है। श्री गणेश के 108 नामों का नियमित पाठ करने से जीवन में संतुलन और समृद्धि आती है। यहां णेश जी के 108 पावन नाम और उनके अर्थ दिए गए हैं। Ganesh Chaturthi:गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक करें गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ, दूर होंगी सारी परेशानियां Ganesh Chaturthi 2025:गणेश चतुर्थी पर करें भगवान गणेश के इन नामों का जाप, घर में आएगी समृद्धि डिस्क्लेमर (अस्वीकरण):यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Aug 27, 2025, 11:51 IST
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