Ganesh Utsav: 400 वर्षों में बदला गणेश उत्सव का रंग, बना आस्था से राष्ट्रीय एकता का प्रतीक

श्रुति दीक्षा पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, विघ्नहर्ता श्री गणेश का अवतरण भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था। यह शुभ दिन कालांतर में गणेश चतुर्थी के रूप में प्रतिष्ठित हुआ। महाराष्ट्र के गौरव छत्रपति शिवाजी महाराज (1630–1680) के काल में यह पर्व एक सार्वजनिक उत्सव के रूप में मनाया जाने लगा। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से शुरू होकर अनंत चतुर्दशी तक चलने वाले इस उत्सव ने सामाजिकता को एक नया रूप दिया है। महान समाज सुधारक लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने गणेश उत्सव को न केवल धार्मिक भावनाओं के उत्सव के रूप में देखा, बल्कि ब्रिटिश शासन की फूट डालो और राज करो नीति के विरुद्ध एक सांस्कृतिक एकता के शंखनाद रूप में इस दस दिवसीय आराधना को जन-जन तक पहुंचाया। उनके लिए इस आयोजन का उद्देश्य था- समाज में व्याप्त जातीय भेद मिटाकर ब्राह्मण और गैर-ब्राह्मण समुदायों को एक सूत्र में पिरोना और राष्ट्रीय चेतना को जागृत करना।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Sep 02, 2025, 12:39 IST
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