बेकाबू हुई गंगा की धारा, बस्तोरा नारंग गांव बना किनारा

- खेतों में खड़ी धान और गन्ने की फसल बर्बादी की कगार पर पहुंच चुकी हैहस्तिनापुर। पिछले एक सप्ताह से बेकाबू हुई गंगा नदी की धारा किसानों की फसल और आबादी क्षेत्र पर कहर बरपा रही है। गंगा नदी कटान करते हुए बस्तोरा गांव की ओर बढ़ रही है, जिससे गांव अब गंगा का किनारा बन गया है। इसे देखते हुए ग्रामीणों की नींद उड़ी हुई है।सरकार ने करीब पांच किलोमीटर का तटबंध बनाकर खादर क्षेत्र के करीब एक दर्जन गांबों को तो बाढ़ से सुरक्षित कर लिया है। परंतु भीमकुंड के समीप मनोहरपुर गंगा पुल से जलालपुर जोरा तक गंगा का तटबंध नहीं होने से पानी लगातार किसानों के खेतों से होते हुए आबादी क्षेत्र की ओर बढ़ रहा है। पिछले कई दिनों से हो रही बरसात से हालात और बिगड़ रहे हैं। खेतों में खड़ी धान और गन्ने की फसल बर्बादी की कगार पर पहुंच चुकी है। चार दिन पूर्व गंगा का पानी आबादी क्षेत्र में पहुंच गया था, जिसने यहां लोगों के जनजीवन को पूरी तरह प्रभावित किया। भयभीत होकर लोग गांव से पलायन कर गए थे। अब गंगा नदी का जलस्तर कुछ कम होने से राहत की उम्मीद बनी है, लेकिन सोमवार की बारिश से नदी का पानी घटने के बजाय और बढ़ गया। इससे बस्तोरा नारंग गांव के समीप गंगा की धारा तीव्र गति में बहते हुए कटान कर रही है। गंगा किनारे खेतों में खड़ी किसानों की फसल गंगा में समा रही है। भीषण कटान से आसपास के कई गांवों के ग्रामीण चिंतित हैं कि जमीन तो गंगा में समा गई। अब कहीं गांव गंगा में न समा जाए। यह चिंता उनकी नींद उड़ा रही है। किसानों की मांग है कि बाढ़ का स्थायी समाधान हो ताकि हर साल किसानों और आमजन को इस आपदा से जूझना न पड़े। आमजन की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई गई है, लेकिन पशुपालकों के लिए चारे की अभी कोई व्यवस्था प्रशासन की ओर से नहीं की गई है।कर्ज और संकट में फंसे किसानबस्तोरा के किसान शैंकी ने कहा कि हर साल बाढ़ से फसलें तबाह हो जाती हैं, जिससे किसान कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे हैं। उन्होंने सरकार से तटबंधों को पक्का करने की मांग उठाई। परंतु अभी तक उनके गांव के सामने तटबंध या कटाव निरोधक नहीं बना। इस कारण गंगा का कहर जारी है।जलस्तर घटने से राहत की बढ़ी उम्मीदपिछले तीन दिनों से गंगा का जल स्तर बढ़ने से ग्रामीणों ने राहत की सांस जरूर ली सोमवार शाम को हरिद्वार से 93 हजार बिजनौर बैराज से 80 हजार क्यूसेक पानी चल रहा था। ग्रामीण ग्रामीण ओसपाल ने बताया कि जलस्तर तो सामान्य है परंतु गंगा की धारा गांव के नजदीक बह रही है जो लगातार भीषण कटान कर रही है। नदी का जलस्तर लगातार घट रहा है और आगे और कमी आने की संभावना है। परंतु कटान उन्हें डरा रहा है।स्थायी समाधान की मांगखादर क्षेत्र के लोगों के साथ-साथ किस संगठन के लोगों की भी मांग है कि बरसात के मौसम में हर साल दो से तीन बार नदी का तटबंध टूटता है या पानी बाहर निकल जाता है, जिससे हजारों एकड़ फसल तबाह हो जाती है। कई गांवों को बचाने के लिए बस्तोरा नारंग गांव के समीप पक्का बांध बनाना जरूरी है। गंगा नदी की प्रतिवर्ष सफाई भी होनी चाहिए। टकटकी लगाकर गंगा में कटते अपने खेत को देखता किसान स्रोत रविंद्र चौहान

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Sep 08, 2025, 20:03 IST
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