Social Media Poetry: कवि होते तो जल में रहकर मगरमच्छ से करते वैर छोड़ो खैर !

कवि होते तो जल में रहकर मगरमच्छ से करते वैर छोड़ो खैर ! कवि होते तो सन्नाटों को- भी कोई भाषा सिखलाते कवि होते तो हर आँसू को गिरते ही तेज़ाब बनाते कवि होते तो कविता करते इधर उधर मत पड़ते पैर छोड़ो खैर ! कवि होते तो आस पास के दुख भी तुम्हें दिखायी पड़ते कवि होते तो छिपे हुये भी कई दृश्य आँखों में गड़ते कवि होते तो सुख लाने में रत होते दुख दिये बगैर छोड़ो खैर ! कवि होते तो सम्मानों या अपमानों से आते बाहर कवि होते तो अंगारों पर धर आते फूलों से आखर कवि होते तो दुविधाओं के हर सागर को जाते तैर छोड़ो खैर ! साभार: ज्ञानप्रकाश आकुल की फेसबुक वाल से

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Sep 09, 2024, 19:54 IST
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