New Year 2023: अनिल जनविजय की कविता- खेलते हुए बच्चों की किलकारी हो नया वर्ष
नया वर्ष संगीत की बहती नदी हो गेहूँ की बाली दूध से भरी हो अमरूद की टहनी फूलों से लदी हो खेलते हुए बच्चों की किलकारी हो नया वर्ष नया वर्ष सुबह का उगता सूरज हो हर्षोल्लास में चहकता पाखी नन्हें बच्चों की पाठशाला हो निराला-नागार्जुन की कविता नया वर्ष चकनाचूर होता हिमखंड हो धरती पर जीवन अनंत हो रक्तस्नात भीषण दिनों के बाद हर कोंपल, हर कली पर छाया वसंत हो
- Source: www.amarujala.com
- Published: Dec 29, 2022, 16:45 IST
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