सीपीए इंडिया जोन-III सम्मेलन: हरिवंश बोले- पूर्वोत्तर के सतत विकास के लिए राज्यों के बीच समन्वय जरुरी

राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश ने कोहिमा , नागालैंड में आयोजित 22वें कॉमनवेल्थ पार्लियामेंट्री एसोसिएशन (सीपीए) इंडिया जोन III सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन: उत्तर पूर्वी क्षेत्र में हाल ही में बादल फटने और भूस्खलन के आलोक में विषय पर आरंभिक व्याख्यान दिया।सभा को संबोधित करते हुए हरिवंश ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यद्यपि पूर्वोत्तर क्षेत्र भारत के कुल भू-भाग का लगभग आठ प्रतिशत है, फिर भी यह देश का लगभग इक्कीस प्रतिशत वनाच्छादित क्षेत्र है। इन प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण को राष्ट्रीय प्राथमिकता बताते हुए, उन्होंने जोर देकर कहा कि वित्त आयोग ने भी अपनी पर्यावरणीय परिसम्पत्तियों के संरक्षण हेतु राज्यों को अधिक धनराशि आवंटित करने की सिफारिश करके इनकी महत्ता को स्वीकार किया है। आपदा प्रबंधन हेतु प्रौद्योगिकी के उपयोग में भारत की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए, उन्होंने कॉमन अलर्टिंग प्रोटोकॉल-बेस्ड इंटीग्रेटिड अलर्ट सिस्टम के उपयोग का उल्लेख किया, जो समय पर क्षेत्र विशेष के लिए चेतावनियाँ जारी करने में सक्षम है। हरिवंश ने जलवायु परिवर्तन की विशिष्ट चुनौतियों को बेहतर ढंग से समझने के लिए उच्च-गुणवत्ता वाले अनुसंधान में निवेश के महत्व पर बल दिया । उन्होंने कहा, वैज्ञानिक अनुसंधान में निवेश ही इन जटिल मुद्दों का एकमात्र दीर्घकालिक समाधान है। शोध संस्थानों के बीच निवेश और बेहतर समन्वय भी उतना ही आवश्यक है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत सरकार आगामी वर्षों में अधिक धनराशि और तकनीकी सहायता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न स्तरों पर व्यापक वार्ता में लगी हुई है । नागालैंड विधान सभा की सराहना करते हुए हरिवंश ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए उठाए गए सक्रिय कदमों, मौजूदा नीतियों की समीक्षा, हरित बजट को बढ़ावा देने और सतत कृषि को प्रोत्साहित करने के लिए जलवायु परिवर्तन पर एक विशेष समिति की स्थापना की सराहना की। उन्होंने शहरी स्थानीय निकायों और ग्राम परिषदों पर विधानसभा की समिति के गठन का भी उल्लेख किया। बेहतर अपशिष्ट प्रबंधन, जल संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण के माध्यम से जमीनी स्तर पर अनुकूलन सुदृढ़ करना इस दिशा में स्वागत योग्य कदम हैं। स्थानीय समुदायों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, भारत के गांव प्रकृति के साथ साहचर्य के कारण सामुदायिक स्तर पर ज्ञान का खजाना हैं I नीति नियोजन में स्वदेशी परिपाटियों और संस्कृतियों की महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए। अपने संबोधन का समापन करते हुए हरिवंश ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण को मानव विकास का अभिन्न अंग माना जाना चाहिए, न कि आर्थिक गतिविधियों में बाधा । उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मिशन लाइफ (एलआईएफई), जो पर्यावरण संरक्षण के लिए व्यक्तिगत और सामुदायिक स्तर के कार्यकलापों को बढ़ावा देता है, का उल्लेख करते हुए विकास की आवश्यक प्राथमिकताओं और सतही प्राथमिकताओं के बीच अंतर करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, हमें परिकल्पना और व्यवहार, दोनों में इस सिद्धांत का पालन करना चाहिए। बाद में हरिवंश ने सीपीए इंडिया ज़ोन III सम्मेलन में समापन भाषण भी दिया । इस अवसर पर बोलते हुए, उन्होंने कहा कि भारत 2047 केवल एक लक्ष्य नहीं है, बल्कि एक सतत यात्रा है जिसमें कई छोटे-छोटे लक्ष्य हैं जिन्हें राज्य दर राज्य हासिल करना होगा। उन्होंने कहा कि जहां विधायिका कानूनों और नीतियों की रुपरेखा तैयार करती है, वहीं निर्वाचित प्रतिनिधियों की ज़िम्मेदारी सामाजिक-आर्थिक बदलावों के प्रबंधन की भी होती है। उन्होंने कहा कि उत्तर पूर्व में केंद्रीय बजट का 10% खर्च करने की प्रतिबद्धता के साथ, हाल के वर्षों में कई नई परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। हरिवंश ने रेखांकित किया कि उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय ने 1.35 लाख करोड़ रुपये (2017-2023)की लागत वाली 126 बाह्य सहायता प्राप्त परियोजनाओं का समर्थन किया है जबकि आर्थिक कार्य विभाग ने पिछले एक दशक में बाह्य वित्तपोषण के लिए 1.26 लाख करोड़ रुपये मूल्य के 124 परियोजनाओं की सिफारिश की है। उन्होंने बल देकर कहा कि इन पहलों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए राज्य सरकारों और विधानसभाओं के बीच सुदृढ़ समन्वय आवश्यक है, ताकि इसका क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सके।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 11, 2025, 18:33 IST
पूरी ख़बर पढ़ें »

Read More:
India news



सीपीए इंडिया जोन-III सम्मेलन: हरिवंश बोले- पूर्वोत्तर के सतत विकास के लिए राज्यों के बीच समन्वय जरुरी #IndiaNews #SubahSamachar