UP: दिल्ली धमाके के बाद संट्रल जेल में हाई अलर्ट, पाकिस्तानी बंदियों पर नजर...ये पाबंदियां भी लगा दी गईं
दिल्ली में कार धमाके की आतंकी घटना के बाद आगरा में भी हाई अलर्ट है। केंद्रीय कारागार की भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है। यहां पर पाकिस्तान व पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) के 28 आतंकी और जम्मू-कश्मीर के 22 नागरिक निरुद्ध हैं। कैमरों से त्रिस्तरीय निगरानी की जा रही है। वहीं अब उनके हाई सिक्योरिटी बैरक से बाहर आने का समय भी घटा दिया गया है। पीएसए के तहत अक्तूबर 2021 में जम्मू-कश्मीर में गिरफ्तार किए गए लोगों के साथ पाकिस्तानी और पीओके के आतंकियों को केंद्रीय कारागार में भेजा गया था। कई खेप में 100 से अधिक बंदी आए थे। बाद में उन्हें अलग-अलग जेलों में शिफ्ट कर दिया गया था। वर्तमान में 50 ही बचे हैं। बंदियों को हाई सिक्योरिटी बैरक में रखा गया है। साथ ही केंद्रीय कारागार की तरफ आने वाले रास्तों पर पुलिस के साथ पीएसी भी लगी है। दिल्ली में हुई आतंकी घटना के बाद जेल में बंद पाकिस्तानी, पीओके और जम्मू कश्मीर के बंदियों पर खास निगाह रखी जा रही है। वर्तमान में हाई सिक्योरिटी की 4 बैरक में बंदी रखे गए हैं। इन्हें पहले सुबह-शाम 2-2 घंटे के लिए बैरक से निकलकर बरामदे में नहाने और टहलने के लिए आने की अनुमति थी। मगर जेल प्रशासन ने समय कम कर दिया है। अब 1-1 घंटे के लिए यह बंदी बाहर आ सकेंगे। बैरक से लेकर बरामदे तक को सीसीटीवी कैमरों से लैस किया गया है। इसके लिए जेल प्रशासन के कर्मचारियों साथ ही अन्य को लगाया गया है। जेल के वरिष्ठ अधीक्षक ओपी कटियार ने बताया कि पाकिस्तान और पीओके के 28 बंदी और 22 बंदी जम्मू कश्मीर के हैं। इनके खिलाफ अलग धारा में केस दर्ज हैं। सभी पर नजर रखी जा रही है। इनके लिए एक कंट्रोल रूम बना है। जेलर और उनके कार्यालय में भी फुटेज बड़ी स्क्रीन पर देखे जाते हैं। बैरक से बाहर निकालने के लिए सुबह और शाम का समय 1-1 घंटे कर दिया गया है। वीडियोग्राफी-वाॅयस रिकार्डिंग भी जेल अधीक्षक ने बताया कि जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान के बंदियों से मुलाकात के लिए आने वालों को सत्यापन के बाद ही मिलाया जाता है। मुलाकात के दाैरान वीडियोग्राफी की जाती है। एलआईयू के इंस्पेक्टर भी माैजूद रहते हैं। वीडियोग्राफी के साथ ही वाॅयस की रिकार्डिंग भी की जाती है। इसकी जांच अधिकारी करते हैं। अगर मुलाकात करने वाला अलग भाषा में भी बात करता है तो पता चल जाता है। मुलाकात करने वाले का सत्यापन संबंधित जिले और प्रशासन से कराया जाता है। जेल से छूटने की लंबी है प्रक्रिया जम्मू-कश्मीर के कई बंदियों को जमानत भी मिल चुकी है। मगर जेल से रिहा होने की प्रक्रिया लंबी होने की वजह से कई माह तक लग जाते हैं। जेल प्रशासन के मुताबिक, जमानत का आदेश मिलने पर बंदी की जानकारी जम्मू-कश्मीर प्रशासन को दी जाती है। बंदी को छोड़ने के लिए प्रशासन से एनओसी ली जाती है। इसके बाद एडीजी सीआईडी से भी जानकारी लेनी होती है। यह पता किया जाता है कि जिस व्यक्ति को छोड़ा जा रहा है, उसके खिलाफ किसी और थाने में मुकदमा तो दर्ज नहीं है। वह वांछित तो नहीं है। इस प्रक्रिया में कई दिन तक लगते हैं।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 14, 2025, 05:12 IST
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