India-Afghanistan: भारत के कितने काम आ सकता है अफगानिस्तान, क्यों बढ़ रही दोनों देशों के बीच नजदीकियां?

तख्ता पलट और गृह युद्ध के लंबे संघर्ष के बाद गरीबी और आर्थिक तंगी से जूझता अफगानिस्तान धीरे-धीरे स्थिर होने की कोशिश कर रहा है। इस लड़ाई में यदि उसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सहायता मिलती तो वह इस लड़ाई को अपेक्षाकृत ज्यादा जल्द जीत लेता। लेकिन अफगानिस्तान की तालिबान सरकार अभी भी पहचान के संकट से गुजर रही है। रूस को छोड़कर दुनिया के किसी भी मजबूत देश ने तालिबान की सत्ता को अब तक स्वीकार नहीं किया है। बड़ा प्रश्न है कि ऐसा अफगानिस्तान भारत की क्या मदद कर सकता है आर्थिक और सैन्य तौर पर बिखरा अफगानिस्तान हर दृष्टि से कमजोर है। इसके बाद भी भारत उसके साथ नजदीकियां क्यों बढ़ा रहा है वैश्विक राजनीति के जानकारों का मानना है कि अफगानिस्तान की भौगोलिक स्थिति उसे भारत के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण बनाती है। भारत पीओके को अपना हिस्सा मानता है और केंद्र सरकार समय-समय पर इसको अपने साथ लेने के लिए प्रतिबद्धता दर्शाती रही है। भारत की जो थल सीमा अफगानिस्तान से लगती है, उसकी लंबाई लगभग 106 किलोमीटर है। यह सीमा मुख्यरूप से पीओके क्षेत्र में है और डूरंड लाइन का हिस्सा है। जिस तरह भारत सरकार की नीति रही है, यदि पीओके को लेकर भविष्य में भारत किसी तरह की पहल करता है तो इस सीमा के माध्यम से अफगानिस्तान भारत के लिए मददगार साबित हो सकता है। यह भारत के लिए मध्य पूर्व के देशों के लिए जाने के लिए स्थाई और सस्ता थलमार्ग प्रदान कर सकता है। माना जा सकता है कि जिस तरह भारत के विदेश मंत्री ने अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी का स्वागत किया है, वह अकारण नहीं है। ये भी पढ़ें:-UK Visa: वीजा नीति पर ब्रिटेन सख्त, किए कई बदलाव; समझिए नए नियमों से भारतीय छात्रों-कामगारों पर कैसा होगा असर एक महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच का क्षेत्र धीरे-धीरे दुनिया की बड़ी ताकतों के लिए आकर्षण का कारण बनता जा रहा है। अमेरिका अफगानिस्तान के बगराम एयरबेस को अपने अधिकार क्षेत्र में लेकर यहां से ईरान पर नजर रखना चाहता है। चीन पाकिस्तान-पीओके होते हुए थल मार्ग के जरिए मध्य पूर्व तक अपनी पहुंच बनाना चाहता है। यदि अमेरिका इस क्षेत्र में मजबूत होता है तो इससे ईरान के साथ-साथ चीन को भी परेशानी हो सकती है। अमेरिका ने जिस तरह के संकेत दिए हैं, वह अफगानिस्तान के एयरपोर्ट को अपने कब्जे में करने के लिए सैन्य कार्रवाई भी कर सकता है। पाकिस्तान इस मामले में उसकी मदद कर सकता है। अफगानिस्तान इसी बीच भारत के साथ संबंध मजबूत कर उसके माध्यम से अमेरिकी भूमिका को सीमित करने का प्रयास कर सकता है। मुत्ताकी की वर्तमान भारत यात्रा इस दिशा में उसका पहला प्रयास हो सकती हैं। भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान उसके लिए एक परेशानी का कारण रहा है। वह अपने को दुनिया भर के मुसलमानों का रहनुमा बताते हुए भारत के मुसलमानों को भी धर्म के नाम पर भड़काने का काम करता रहा है। ऐसे में यदि उसी के पड़ोस में एक मजबूत इस्लामी राष्ट्र भारत के पक्ष में रहे तो इसका मनोवैज्ञानिक लाभ मिल सकता है। भारत इसके पहले भी दुनिया के तमाम मुस्लिम देशों से अपना संबंध बेहतर कर पाकिस्तान को अलग-थलग करने में सफल रहा है। अफगानिस्तान उसकी इस कोशिश को और मजबूत कर सकता है। आमिर खान मुत्ताकीने जम्मू-कश्मीर पर जिस तरह भारत के अधिकार को स्वीकार करने वाला बयान दिया है, उससे पाकिस्तान बौखला गया है। उसकी बौखलाहट भी बताती है किभारत की अफगानिस्तान से दोस्ती पाकिस्तान को असहज करने वाली है। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री के भारत में रहने के दौरान जिस तरह पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर हमला किया है, उसे भी बेवजह नहीं माना जा रहा है। यह हमला अफगानिस्तान की भारत से बढ़ती नजदीकियों के विरोध का प्रतीक हो सकती हैं। ये भी पढ़ें:-India-AFG Tice: भारत-अफगानिस्तान के रिश्तों में मजबूती पर जोर, मुत्ताकी बोले- 45 साल बाद हमारे देश में शांति भारत ने अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी का जिस तरहस्वागत किया है, उससे यही संकेत मिले हैं कि वह अपने इस पड़ोसी देश से संबंधों को नई ऊंचाई देना चाहता है। इस क्रम में न केवल मुत्तकी का किसी संप्रभु देश के विदेश मंत्री की तरह स्वागत किया गया, बल्कि भारत ने अफगानिस्तान के साथ वक्तव्य भी जारी किया है। कहा जा रहा है कि भारत ने मुत्ताकी को अफगानिस्तान में अपना स्थाई दूतावास खोलने पर भी सहमति जताई है।यदि ऐसा होता है तो रूस के बाद भारत अफगानिस्तान को मान्यता देने वाला दूसरा मजबूत देश बन सकता है। यानी यह दोस्ती दोतरफा होने वाली है और यह दोनों के लिए शुभ है। कट्टरपंथ के उभार को लेकर चिंता अफगानिस्तान में तालिबानी कट्टरपंथियों ने सत्ता को पलट कर सरकार पर कब्जा किया है। अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान के एक धड़े ने पाकिस्तान में भी तालिबानी और कट्टर इस्लामी सरकार बनाने की कोशिशें तेज कर दी हैं। आज यह सोच पाकिस्तान के लिए बड़ा सिरदर्द बन गई है। कुछ लोगों का मानना है कि अफगानिस्तान का मजबूत होना भविष्य में भारत के लिए भी नए संकट पैदा कर सकता है। लेकिन अफगानिस्तान से मिल रहे संकेत एक बदलाव का इशारा कर रहे हैं। अफगानी तालिबानों ने समय को देखते हुए अपने अंदर बदलाव के संकेत भी देने शुरू कर दिए हैं। संभवतः अफगानी सत्ता को यह लगने लगा है कि यदि उसे दुनिया के साथ मिलकर चलना है तो उसे अपने अंदर कुछ बदलाव लाना होगा। ध्यान देना चाहिए कि सऊदी अरब जैसे देशों में भी महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा है। बहुत संभव है कि आधुनिक दुनिया के संपर्कों और आपसी मजबूरियों से तालिबानों का एक नया संस्करण देखने को मिले जो उनके साथ-साथ दुनिया के लिए भी बेहतर हो। भारत में महिला पत्रकारों से बातचीत से इनकार के बाद दूसरी बार उन्हें बुलाकर बात करना यही संकेत देता है। अफगानिस्तान से दोस्ती हमारे पक्ष में- विशेषज्ञ दिल्ली विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान की प्रो. डॉ. सोनाली चितलकर ने अमर उजाला से कहा कि अफगानिस्तान से भारत की दोस्ती हर हाल में हमारे हित में है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान जिस धार्मिक कार्ड के सहारे अपने आपको मजबूत करने की कोशिश करता रहता है, अफगानिस्तान उसका एक सटीक जवाब हो सकता है। आतंक के मामले में भी जिस तरह भारत को अफगानिस्तान का साथ मिला है और दोनों देशों ने पाकिस्तान को आतंक के मोर्चे पर घेरा है, वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर हमारी स्थिति को मजबूत करता है। उन्होंने कहा कि भारत अफगानिस्तान में लंबे समय से निर्माण और सेवा कार्यों में व्यस्त रहा है। यही कारण है कि अफगानिस्तान की जनता के बीच भारत की छवि एक सॉफ्ट और विकसित देश जैसी है। भारत को इस स्थिति का लाभ उठाते हुए अफगानिस्तान से संबंध मजबूत करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई देश एक व्यक्ति की नैतिकता की तरह व्यवहार नहीं कर सकता। तालिबानों को बेहतर बनाने के लिए भी यही बेहतर होगा कि उनके साथ संबंध बनाए जाएं और उन्हें भी आधुनिक दुनिया के तौर तरीकों को स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया जाए। यह काम मेल मिलाप और संबंधों के आधार पर ही हो सकता है। दुनिया ने देखा है कि ताकत के बल पर तालिबानों को बदलने की कोशिश सफल नहीं हुई है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Oct 14, 2025, 20:23 IST
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