ईश्वर की कृपा से मिला मानव शरीर, भारत भूमि में जन्म : अनंतानंद
- वेदांत आश्रम में चल रहे महोत्सव में आत्मसंयम योग पर दिए गए प्रवचनमाई सिटी रिपोर्टरमेरठ। जागृति विहार एक्सटेंशन स्थित वेदांत आश्रम में शुभम करोति फाउंडेशन की ओर से आयोजित नौ दिवसीय गीता जयंती महोत्सव के चौथे दिन महामंडलेश्वर अनंतानंद सरस्वती ने आत्मसंयम योग पर प्रवचन दिए। उन्होंने कहा कि ईश्वर की कृपा से हमें दुर्लभ मनुष्य शरीर और भारत भूमि में जन्म मिला मिला। शास्त्र कृपा से अध्यात्म ज्ञान मिलता है। गुरु कृपा से मार्गदर्शन मिलता है। यदि हम स्वयं पुरुषार्थ न करें तो ये कृपाएं व्यर्थ हो जाती हैं। स्वामी अनंतानंद ने कहा कि अनियंत्रित मन ही सबसे बड़ा शत्रु है। संयमित मन ही सच्चा मित्र है। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को यही संदेश दिया कि स्वयं द्वारा ही स्वयं का उद्धार करना पड़ता है। उन्होंने कहा कर्म से उत्पत्ति, प्राप्ति, संस्कार और नाश ये चारों क्रिया होती हैं। ये आत्मा में नहीं होतीं। जितनी हमारी आवश्यकताएं कम होंगी उतनी ही शिकायतें कम होंगी।उन्होंने कहा कि साधक जैसे-जैसे कर्मों से विरक्त होता जाता है। वैसे-वैसे उसका ध्यान में प्रवेश गहरा होता जाता है। जो साधक अपने अंत:करण से देह और इंद्रियों को वश में कर लेता है, वही अपना सच्चा मित्र है। जब तक संसार का चिंतन रहेगा, तब तक आत्मतत्त्व का चिंतन संभव नहीं।कार्यक्रम के प्रारंभ में व्यास पूजन का सौभाग्य सेवानिवृत्त जज एसवी सिंह और एके बंसल को प्राप्त हुआ। मुख्य रूप से आरएसपीएस बरौनिया, राजीव शर्मा, माया खंडेलवाल रहे। यह गीता ज्ञान यज्ञ आठ दिसंबर तक चलेगा। महोत्सव का भव्य समापन एवं पूर्णाहुति नौ दिसंबर को सुबह 11 कुंडीय यज्ञ के साथ होगी।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Dec 05, 2025, 17:50 IST
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