Urdu Poetry: तेरी आँखों में दिखाई दे मोहब्बत मेरी
तू मुझे याद करे ऐसा तरीक़ा निकले मेरी यक-तरफ़ा मोहब्बत का नतीजा निकले तेरी आँखों में दिखाई दे मोहब्बत मेरी बे-नमाज़ी तिरे बस्ते से मुसल्ला निकले वर्ना हम कब के चटानों में फँसे मर जाते पाँव काटे तो तिरे दश्त से ज़िंदा निकले जंग में कौन निकलता है घरों से बाहर तू ने आवाज़ लगाई थी लिहाज़ा निकले तेरी राहों में भटकते हुए मौत आ जाए और ऐसे में मिरी जेब से नक़्शा निकले इतनी ख़ामोशी से निकले हैं तिरे शोर से हम जैसे बाज़ार के मजमा' से जनाज़ा निकले आज आऊँगा तिरे पास मोहब्बत ले कर मुद्दतें हो गईं 'इज़्ज़त का जनाज़ा निकले ~ इब्राहीम अली ज़ीशान हमारे यूट्यूब चैनल कोSubscribeकरें।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Oct 06, 2025, 19:38 IST
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