Tariffs: 'अमेरिका को लौटाना पड़ेगा आधा पैसा, अगर...', टैरिफ पर 'सुप्रीम' पर सुनवाई के बीच बोले ट्रंप के मंत्री
अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से लगाए गए भारी टैरिफ पर कानूनी विवाद गहराता जा रहा है। अगर देश की सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा, तो अमेरिकी सरकार को अब तक वसूले गए शुल्क का लगभग आधा हिस्सा वापस करना पड़ सकता है। यह बयान खुद अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने दिया है।उन्होंने एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में कहा, 'अगर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला हमारे खिलाफ दिया, तो हमें लगभग आधे टैरिफ की वापसी करनी होगी। यह अमेरिकी खजाने के लिए बहुत बुरा होगा लेकिन अगर कोर्ट कहता है, तो हमें करना ही पड़ेगा।' यह भी पढ़ें - Trump: 'उन्हें अहसास हो गया, भारत को लेकर उनकी सोच गलत थी', ट्रंप के बदले व्यवहार की पूर्व राजनयिक ने बताई वजह कहां से शुरू हुआ मामला बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति रहते हुए लगभग सभी प्रमुख व्यापारिक साझेदार देशों पर भारी टैरिफ लगाए। उन्होंने इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट के तहत अप्रैल में राष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर यह कदम उठाया। ट्रंप का तर्क था कि व्यापार घाटा अमेरिकी विनिर्माण उद्योग को नुकसान पहुंचा रहा है और यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। ट्रंप के टैरिफ पर अदालतों के सवाल लेकिन अदालतों ने इस पर सवाल उठाए। मई 2025 में न्यूयॉर्क में मौजूद कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ने इन टैरिफ को अवैध करार दिया। 29 अगस्त 2025 को यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर द फेडरल सर्किट ने 7-4 के फैसले में कहा कि टैरिफ लगाना कांग्रेस का अधिकार है, न कि राष्ट्रपति का। अदालत का कहना था कि ट्रंप ने अपने संवैधानिक अधिकारों का अतिक्रमण किया। ट्रंप की सुप्रीम कोर्ट में अपील इस मामले में ट्रंप प्रशासन ने तुरंत सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की और तेजी से सुनवाई करनेकी मांग की। ट्रंप की याचिका में कहा गया है कि अगर जून 2026 तक फैसला नहीं आया, तो तब तक 750 अरब से 1 ट्रिलियन डॉलर तक की वसूली हो जाएगी। बाद में इन पैसों को लौटाना बेहद जटिल और अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक होगा। अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल जॉन सॉयर ने दायर फाइलिंग में कहा, 'इस मामले में दांव पर बहुत कुछ लगा है। देरी से फैसला आने से स्थिति और बिगड़ सकती है।' अमेरिकी व्यवसायों पर भारी बोझ 24 अगस्त तक अमेरिकी कंपनियां लगभग 210 अरब डॉलर का भुगतान कर चुकी हैं, जो अदालतों के मुताबिक अवैध टैरिफ हैं। अगर सुप्रीम कोर्ट निचली अदालत का फैसला बरकरार रखता है, तो अमेरिकी खजाने को यह पैसा वापस करना होगा। अन्य कानूनी रास्ते भी खुले-केविन हैसेट ट्रंप प्रशासन के नेशनल इकोनॉमिक काउंसिल डायरेक्टर केविन हैसेट ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि, 'अगर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला हमारे खिलाफ दिया, तब भी हमारे पास कुछ अन्य कानूनी रास्ते हैं।' उन्होंने 'सेक्शन 232' जांच का जिक्र किया, जिसके तहत स्टील और एल्युमिनियम पर पहले भी टैरिफ लगाए गए थे। हालांकि, वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट का मानना है कि इन विकल्पों का इस्तेमाल करने से ट्रंप की सौदेबाजी की ताकत कमजोर पड़ सकती है। यह भी पढ़ें - Elon Musk: 'सभी की बात सुनाई देती है', भारत विरोधी पोस्ट पर एक्स के फैक्ट-चेक को लेकर मस्क का नवारो पर पलटवार अपील्स कोर्ट ने अपने फैसले को 14 अक्तूबर तक रोक दिया है, जिससे ट्रंप को सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का समय मिल सके। अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर हैं, जहां यह तय होगा कि टैरिफ बरकरार रहेंगे या खारिज होंगे। विपरीत फैसले का क्या पड़ेगा असर अमेरिकी खजाना- अगर फैसला ट्रंप के खिलाफ हुआ, तो सरकार को सैकड़ों अरब डॉलर वापस लौटाने होंगे, जिससे खजाना पर भारी दबाव पड़ेगा। अमेरिकी कंपनियां- जो कंपनियां टैरिफ के कारण नुकसान झेल रही थीं, उन्हें राहत मिलेगी। वैश्विक व्यापार- ट्रंप के टैरिफ खत्म होने से दुनिया भर के व्यापारिक रिश्तों पर असर पड़ेगा, खासकर चीन, यूरोप और भारत जैसे देशों के साथ। राजनीतिक प्रभाव- यह मामला ट्रंप के 2024 चुनावी वादों और उनकी आर्थिक नीतियों की विश्वसनीयता को सीधे चुनौती देगा।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Sep 08, 2025, 09:21 IST
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