Chandigarh-Haryana News: मृतक कर्मी की बर्खास्तगी रद्द तो उसे सेवा में मानते हुए दिया जाए आश्रितों को लाभ
-आर्थिक लाभ जारी करने से इन्कार करने का फैसला हाईकोर्ट ने किया रद्द अमर उजाला ब्यूरोचंडीगढ़। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार द्वारा एक व्यक्ति को करुणा मूलक सहायता से वंचित करने के फैसले को रद्द करते हुए कहा है कि जब मृतक सरकारी कर्मचारी की बर्खास्तगी को अदालत ने निरस्त कर दिया, तो कानूनी रूप से उसे सेवा के दौरान मृत्यु होना माना जाएगा। ऐसे में उसके परिवार को हरियाणा करुणा मूलक सहायता नियम, 2006 के तहत लाभ मिलना अनिवार्य है।जस्टिस संदीप मौदगिल ने याचिका स्वीकारते हुए 2012 का आदेश रद्द कर दिया और निर्देश दिया कि चार सप्ताह के भीतर याची को 2006 नियमों के अनुसार आर्थिक सहायता प्रदान की जाए। याचिका खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में निरीक्षक रहे मृतक राम किशन के बेटे ने दाखिल की थी। राम किशन को 1989 में विभागीय कार्रवाई के तहत बर्खास्त किया गया था। 1993 में उन्होंने इस बर्खास्तगी को चुनौती दी लेकिन 1995 में उनकी मृत्यु हो गई। 2010 में हाईकोर्ट ने बर्खास्तगी को निरस्त करते हुए कहा कि राम किशन को मृत्यु तक सेवा में माना जाएगा। इसके बाद पत्नी को पेंशन तो मिली लेकिन बेटे की करुणा मूलक नियुक्ति/सहायता की 1996 से लंबित मांग को 2012 में यह कहते हुए ठुकरा दिया गया कि अब 2006 नियम लागू हो चुके हैं और नियुक्ति बंद है। हरियाणा सरकार ने कहा कि कर्मचारी मृत्यु की तिथि पर सेवा में नहीं था और दावा देरी से किया गया। लेकिन कोर्ट ने कहा कि 2010 के फैसले के बाद बर्खास्तगी कभी हुई ही नहीं मानी जाएगी। इसलिए विभाग तकनीकी आधार लेकर लाभ से इंकार नहीं कर सकता। अदालत ने कहा कि करुणा मूलक सहायता कल्याणकारी राज्य की जिम्मेदारी है, जिसे संकीर्ण या तकनीकी आधारों पर नकारा नहीं जा सकता। कोर्ट ने कहा कि विभाग स्वयं की देरी का लाभ नहीं उठा सकता और बिना उचित कारण बताए निर्णय लेना कानून के विरुद्ध है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 28, 2025, 18:51 IST
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