Bareilly News: बेटियों पर समय की पाबंदी लगाना उनकी आजादी छीनने जैसा

ममता बनर्जी के बयान पर पीएचडी स्कॉलर व प्रोफेसरों ने रखी अपनी रायबरेली। पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में हुई रेप की घटना के बाद ममता बनर्जी का बयान सुर्खियों में है। जिसमें उन्होंने लड़कियों के आठ बजे के बाद बाहर न निकलने और अपनी सुरक्षा अपने हाथ होने की बात की है। इस बयान पर शहर की महिला प्रोफेसर, रिसर्च स्कॉलरों व छात्राओं का मानना है कि ये बयान महिलाओं को असहज करने वाला है। ये तो नहीं कह सकते कि बेटियां रात आठ बजे के बाद बाहर नहीं निकलने से सुरक्षित हैं। उन्हें सुरक्षित माहौल देना कानूनी व्यवस्था व शिक्षण संस्थानों की जिम्मेदारी है। बेटियों पर समय व कपड़ों की पाबंदी लगाना, उन्हें अपने दोस्तों के साथ न घूमने देना उनकी आजादी छीनने जैसा है। संवाद--सुरक्षित महौल देना प्रशासन और शिक्षण संस्थानों की जिम्मेदारीअब भी 8 बजे के बाद माहौल को सुरक्षित नहीं कहा जा सकता, लेकिन बेटियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी केवल उनकी नहीं, हमारी भी है। शिक्षण संस्थानों व प्रशासन की जिम्मेदारी है कि हम लड़कियों को सुरक्षित माहौल दें। उन्हें आत्मरक्षा का प्रशिक्षण भी दें। - डॉ. अनुपमा महरोत्रा, प्राचार्य साहूराम स्वरूप महिला महाविद्यालयरात 8 बजे के बाद महिलाओं के आने-जाने पर प्रतिबंध लागना, मतलब उनकी आजादी पर रोक लगाना। अगर हमारी लड़कियों को हम सुरक्षित माहौल नहीं दे पा रहे हैं। तो ये हमारी नाकामी है। अप्रिय घटनाएं कभी समय नहीं देखती। कानून व्यवस्था मजबूत होनी चाहिए। - डॉ. अनीता त्यागी, बहुभाषी विभाग, रुविविमैं कैंपस के हाॅस्टल में रहती हूं। नियम सख्त हैं, लेकिन घटना हाॅस्टल के अंदर होगी या आठ बजे के बाद होगी ये कहीं निर्धारित नहीं है। इसलिए स्वयं की सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी भी है। यदि कानून व्यवस्था मजबूत होती है तो हम पुलिस को बुला सकते हैं। - ज्योति, पीएचडी स्कॉलरकपड़े ऐसे नहीं होने चाहिए या रात 8 बजे के बाद बाहर न निकलें, इस तरह के बयान रूढ़ीवादी सोच को दर्शाते हैं। यदि घर में अकेली लड़की ही है, माता-पिता को अस्पताल ले जाना है, तो ऐसे में वो समय देखेगी या अपना कर्तव्य निभाएगी। - अंजलि, पीएचडी स्कॉलर

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Oct 14, 2025, 02:46 IST
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