Varanasi News: बीएचयू में बिना चीरा लगाए बंद किया बच्चे के दिल का छेद, सात डॉक्टरों की टीम ने की सर्जरी

आईएमएस बीएचयू में डॉक्टरों की टीम ने साढ़े छह महीने के बच्चे के दिल में छेद को बिना चीरा लगाए बंद कर दिया। बच्चे का वजन पांच किग्रा होने के चलते सर्जरी चुनौतीपूर्ण रही। सात डॉक्टरों की टीम ने ट्रांसकैथेटर विधि से पीडीए डिवाइस क्लोजर (दिल का छेद बंद) किया। इस उम्र के बच्चे की सर्जरी का यह पहला मामला रहा। पिछले सप्ताह हुई इस सर्जरी के बाद बच्चे को डिस्चार्ज किया गया, वह अब पूरी तरह स्वस्थ है। हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष प्रो. विकास अग्रवाल के नेतृत्व में सात डॉक्टरों की टीम ने सर्जरी की। प्रो. विकास अग्रवाल के अनुसार बच्चे के दिल में छेद होने की वजह से उसका वजन नहीं बढ़ रहा था। उन्होंने बताया कि अगर किसी बच्चे को यह समस्या हुई तो उसके जन्म से 3 महीने की उम्र तक, मध्यम आकार के पीडीए को 6 से 12 महीने और छोटे पीडीए को 12 से 18 महीने में बंद कर देना चाहिए। पीडीए क्लोजर कैथेटर आधारित विधि से एंजियोप्लास्टी, पेसमेकर इम्प्लांटेशन और वाॅल्व प्रक्रियाओं के अलावा नवजात से लेकर बड़े लोगों के हृदय रोगों का इलाज किया जाता है। सीटीवीएस विभाग के प्रो. सिद्धार्थ लाखोटिया ने बताया कि ओपन-हार्ट सर्जरी भी एक विकल्प है, लेकिन छोटे बच्चों में इसकी मृत्यु दर अधिक होती है। क्या होती है पीडीए विधि कार्डियोलॉजी विभाग की डॉ. प्रतिभा राय ने बताया कि पीडीए (पेटेंट डक्टस आर्टेरियसस) जन्म से पहले की एक संरचना होती है। यह शरीर की दो बड़ी धमनियों को जोड़कर भ्रूण की जीवित रहने में मदद करती है। जन्म के बाद इसके बंद न होने से वजन न बढ़ना, दिल बंद होना और बार-बार निमोनिया होने की समस्याएं होती हैं। कार्डियोलॉजी विभाग की टीम में प्रो. विकास अग्रवाल, डॉ. प्रतिभा राय, डॉ. मनीष, डॉ. अर्जुन, एनीस्थीसिया विभाग से प्रो. एपी सिंह, डॉ. संजीव ,डॉ. प्रतिमा ने सहयोग किया।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Apr 23, 2025, 00:14 IST
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