Independence Day 2025: 5 साल की रिसर्च और 30 से ज्यादा डिजाइन के बाद बना तिरंगा, जानिए इतिहास

Independence Day 2025: इस वर्ष 15 अगस्त 2025 को 79वां स्वतंत्रता दिवस मनाया जाना है। हर साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर दिल्ली के लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं। भारत का राष्ट्रीय ध्वज न केवल देश का गौरव और आजादी का प्रतीक है, बल्कि ये हमारी पहचान, देश की विविधता, सांस्कृतिक और धार्मिक एकता का प्रतीक भी है। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा तीन रंगों में है जिसका एक खास अर्थ है। लेकिनक्या आप जानते हैं कि इस ध्वज के पीछे किसका संघर्ष था उसका नाम है पिंगली वेंकैया, एक ऐसा नाम जिसे आज भी देश में बहुत कम लोग जानते हैं, जबकि भारत के तिरंगे के निर्माण में उनका सबसे बड़ा योगदान रहा। कौन थे पिंगली वेंकैया पिंगली वेंकैया का जन्म 2 अगस्त 1876 को आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम में हुआ था। वे एक स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद, लेखक और भाषा विशेषज्ञ थे। वे महात्मा गांधी के अनुयायी भी थे और एक राष्ट्र के लिए अलग ध्वज की जरूरत को सबसे पहले उन्होंने ही पहचाना। 5 साल तक झंडों की स्टडी की देश की आजादी से पहले ही भारत के लिए एक ध्वज की जरूरत को समझते हुए वेंकैया ने 1916 से 1921 तक दुनिया भर के 190 से ज्यादा झंडों का गहराई से अध्ययन किया। उन्होंने देखा कि हर स्वतंत्र देश का एक विशिष्ट झंडा होता है, जो उसकी पहचान बनाता है। इस रिसर्च के दौरान वे 30 से अधिक अलग-अलग डिज़ाइनों के साथ आए, जिनमें रंग, प्रतीक और सांस्कृतिक पहलुओं का विशेष ध्यान रखा गया। महात्मा गांधी को किया डिजाइन प्रस्तुत 1921 में विजयवाड़ा कांग्रेस अधिवेशन के दौरान पिंगली वेंकैया ने महात्मा गांधी को झंडे का पहला डिज़ाइन दिखाया, जिसमें दो रंग (लाल और हरा) हिंदू और मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करने के लिए तय किए गए । बाद में गांधी जी ने सफेद रंग और चरखा जोड़ने का सुझाव दिया, जो शांति और अन्य समुदायों का प्रतीक था। फिर कैसे बना तिरंगा 1931 में इस झंडे को पहली बार राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर मान्यता मिली। 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने तिरंगे को स्वतंत्र भारत का आधिकारिक ध्वज घोषित कर दिया।चरखे की जगह अशोक चक्र को स्थान मिला। क्यों पिंगली वेंकैया को नहीं मिला सम्मान देश के झंडे के निर्माता होने के बावजूद पिंगली वेंकैया को जीवन भर कोई बड़ा सरकारी सम्मान नहीं मिला। 1963 में उनका निधन गुमनामी में हुआ। वर्षों बाद आंध्र प्रदेश सरकार ने उनकी स्मृति में डाक टिकट जारी किया।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Aug 05, 2025, 17:25 IST
पूरी ख़बर पढ़ें »




Independence Day 2025: 5 साल की रिसर्च और 30 से ज्यादा डिजाइन के बाद बना तिरंगा, जानिए इतिहास #Lifestyle #National #IndependenceDay2025 #IndianNationalFlag #PingaliVenkayya #SubahSamachar