India-EU FTA: भारत-ईयू के बीच संतुलित एफटीए को अंतिम रूप देने के लिए गंभीरता से बढ़ रहे, बोले पीयूष गोयल

भारत और यूरोपीय संघ एक व्यापक व संतुलित मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए गंभीरता और प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहे हैं। इससे दोनों पक्षों के कारोबारियों और उपभोक्ताओं को लाभ होगा। वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को यह बात कही। ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एसीएमए) को संबोधित करते हुए गोयल ने कहा कि इस तरह का समझौता एकतरफा नहीं हो सकता। हर बातचीत में निष्पक्षता और संतुलन सुनिश्चित करने के लिए कुछ हद तक लेन-देन शामिल होता है। गोयल ने कहा किप्रस्तावित समझौते पर यूरोपीय संघ के व्यापार आयुक्त मारोस सेफकोविक के साथ उनकी लंबी बहस और लड़ाई होती है। लेकिन मैं आपको बता सकता हूं कि वह एक सख्त वार्ताकार हैं। मारोस से किसी भी बात को मनवाना बहुत मुश्किल काम है। भारत और यूरोपीय संघ इस समझौते के लिए यहां 13वें दौर (8-12 सितंबर) की बातचीत में लगे हुए हैं। सेफ्कोविक और यूरोपीय आयोग के कृषि आयुक्त क्रिस्टोफ़ हैनसेन, गोयल के साथ बातचीत की प्रगति की समीक्षा करने के लिए यहां हैं। दोनों पक्षों ने दिसंबर तक बातचीत पूरी करने का लक्ष्य रखा है। मंत्री ने कहा कि यह भी महत्वपूर्ण है कि एक आदर्श समझौते की संभावना को तलाशते हुए यह जरूरी है कि किसी को दुश्मन न बनने दिया जाए। गोयल ने कहा कि जिस दिशा में बातचीत आगे बढ़ रही है वह बहुत सकारात्मक है। गोयल ने भरोसा जताया कि इस प्रक्रिया के जरिए अपार संभावनाएं खुलेंगी। इससे व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और गहन आर्थिक भागीदारी के अवसर खुलेंगे। गोयल ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि ऑटोमोटिव कंपोनेंट क्षेत्र जैसे उद्योग को भारत-यूरोपीय संघ साझेदारी के तहत तैयार किए जा रहे प्रावधान आकर्षक और संभावनाओं से भरपूर लगेंगे। उन्होंने कहा, "यह समझौता भारतीय निर्माताओं के लिए अपने यूरोपीय समकक्षों और दुनिया के अन्य हिस्सों की कंपनियों के साथ साझेदारी करने के नए रास्ते खोलेगा, जिससे संयुक्त उद्यमों, प्रौद्योगिकी साझेदारी और सहयोगात्मक नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।" उन्होंने कहा कि लागत प्रतिस्पर्धा के मामले में भारत महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करता है - चाहे वह डिजाइन, विकास या अनुसंधान एवं विकास में हो। उन्होंने कहा कि ऐसी साझेदारियां लागत कम करने, उत्पादकता बढ़ाने, भारतीय युवाओं के लिए रोजगार सृजित करने तथा भारत को उच्च गुणवत्ता वाले ऑटोमोटिव घटक विनिर्माण के अग्रणी केंद्र के रूप में स्थापित करने में सहायक होंगी। उन्होंने भारत की आकांक्षा का भी उल्लेख किया कि वह वर्तमान में प्रति हजार व्यक्तियों पर 34 कारों की संख्या को बढ़ाकर काफी ऊंचे स्तर पर ले जाना चाहता है। इससे ऑटो कम्पोनेंट उद्योग के लिए वैश्विक स्तर पर विस्तार के अवसर पैदा होंगे। सत्र को मारोस ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा किएफटीए पर पहले भी बातचीत हो चुकी है,लेकिन इससे पहले यह प्रक्रिया कभी इतनी गंभीरता, पारस्परिक विश्वास और साझा महत्वाकांक्षा के स्तर तक नहीं पहुंची थी।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Sep 12, 2025, 20:15 IST
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