India-Pakistan Tension: जैसलमेर से क्यों हटाए गए ये चूजे, आखिर इनकी जान इतनी कीमती क्यों?

भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव के बीच गंभीर रूप से लुप्तप्राय गोडावण के नौ चूजों को अजमेर पूरे इंतजाम के साथ शिफ्ट किया गया। बीते दिनों भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास ड्रोन देखे जाने और गोलाबारी के बाद आपातकालीन एहतियाती उपाय के तौर पर जैसलमेर के सम-4 और रामदेवरा संरक्षण केंद्र-5 ग्रेट इंडियन बस्टर्ड चूजों को अजमेर जिले के अरवर गांव में स्थित WII के सेंटर में भेजा गया है। डेजर्ट नेशनल पार्क (DNP) के डीएफओ बृजमोहन गुप्ता के अनुसार, गोडावण तेज आवाज के प्रति बेहद संवेदनशील होते हैं। ऐसे में किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए शिफ्टिंग की प्रक्रिया अपनाई गई है। उन्हें सुदासरी और रामदेवरा ब्रीडिंग सेंटर से अजमेर जिले के अरवर गांव भेजा गया है। डीएफओ ने क्या बताया डीएफओ ने बताया, पहलगाम में आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच हालात असामान्य हो गए थे। भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तानी ड्रोन्स की जैसलमेर में गतिविधियां ज्यादा बढ़ गई थी। सुरक्षा खतरों को देखते हुए वैज्ञानिकों और अधिकारियों की टीम ने आपसी डिस्कशन किया। उसके बाद गोडावण की सुरक्षा के लिए अजमेर के अरवर स्थित वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) के सेंटर में शिफ्ट करने का फैसला किया गया। यह भी पढ़ें:रेलवे स्टेशनों पर भारतीय सेना का गौरवगान, तिरंगी रोशनी से सजाया, देखें तस्वीरें दरअसल, जैसलमेर सीमा से कुछ किलोमीटर की दूरी पर सम और रामदेवरा केंद्र में देश का पहला और एकमात्र बस्टर्ड रिकवरी कार्यक्रम संचालित है। यह भारतीय वन्यजीव संस्थान WII और प्रदेश के वन विभाग की संयुक्त पहल है, जिसमें काफी प्रयासों के बाद इस साल लगभग 18 चूजों का जन्म हुआ था। अधिकारियों की माने तो वहां पहले से ही लेसर फ्लोरिकन के संरक्षण के लिए एक मौजूदा बुनियादी ढांचा है। साथ ही चूजों का पालन और पोषण भी अच्छा किया जाएगा। नौ चूजों को सुरक्षित स्थान पर भेजा डीएफओ ने बताया कि आधे से अधिक चूजों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने का विकल्प चुना गया है, जिसका उद्देश्य लुप्तप्राय लाल प्रजातियों की रक्षा करना और संरक्षण कार्यक्रम की निरंतरता सुनिश्चित करना है। WII के वरिष्ठ वैज्ञानिक और जैसलमेर DNP के DFO ने बताया, 10 मई को जैसलमेर में स्थिति बिगड़ने के बाद हमने इस साल पैदा हुए 18 चूजों में से नौ को सुरक्षित स्थान पर भेजने का फैसला किया, जिसमें पांच से 28 दिन की उम्र वाले चूजों को अजमेर ले जाया गया। बता दें कि ब्रीडिंग सेंटर में चूजों सहित मिलाकर 59 गोडावण हैं, जिनमें से नौ को अजमेर शिफ्ट करने के बाद अब 50 गोडावण रह गए हैं। यह भी पढ़ें:अब इस नाम से जानी जाएगी अजमेर-जम्मूतवी सुपरफास्ट एक्सप्रेस, प्रसिद्ध तीर्थस्थल पर रखा नया नाम सॉफ्ट सस्पेंशन गाड़ियों से ले गए विशेष रूप से डिजाइन किए गए सॉफ्ट सस्पेंशन से स्पेशल डिजाइन की गई दो इनोवा गाड़ी में सभी चूजों को ले जाया गया। 10 घंटे की यात्रा के दौरान तनाव को कम करने के लिए रेत के बिस्तर वाले विशेष गद्देदार डिब्बों की व्यवस्था की गई थी, ताकि चूजे डरे नहीं। शिफ्टिंग में सभी सुविधाओं का ध्यान रखा गया। चूजे स्वस्थ हैं और अच्छी तरह से अभ्यस्त हो गए हैं। आने वाले हफ्तों में हम तय करेंगे कि उन्हें स्थाई रूप से वहां रखना है या स्थिति स्थिर होने के बाद उन्हें वापस लाना है। हालांकि, फिलहाल आठ अन्य चूजे रामदेवरा केंद्र में और जैसलमेर के सम प्रजनन सुविधा में रह रहे हैं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: May 14, 2025, 19:39 IST
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