Constitution Day 2025: संविधान निर्माण में थी इन 15 महिलाओं की अहम भूमिका, जानें इनके बारे में
Indian Constitution Day 2025: हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है। देश की आजादी के बाद भारत सरकार के लिए देश में कानून और संविधान लागू करना सबसे पहली और बड़ी चुनौती थी। डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में संविधान सभा का निर्माण हुआ। प्रारूप समिति के अध्यक्ष डाॅ. भीमराव आंबेडकर के प्रयासों से भारत के संविधान को मूर्त रूप मिला और औपचारिक तौर पर 26 नवंबर 1949 को संविधान लागू हो गया। संविधान निर्माण में कई लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। महिलाएं भी पीछे नहीं रहीं। भारत की संविधान सभा में कुल 15 महिलाएं सदस्य थीं। यह संख्या भले कम लगे, लेकिन उनकी भूमिका अत्यंत निर्णायक रही। ये महिलाएं शिक्षा, सामाजिक सुधार, महिला अधिकार, स्वास्थ्य, आदिवासी अधिकार और समानता के मुद्दों को दृढ़ता से लेकर आईं। संविधान दिवस 2025 के मौके पर आइए जानते हैं संविधान निर्माण में अपना योगदान देने वाली 15 महिलाओं के बारे में। संविधान निर्माण में महिलाओं की भूमिका 1. अम्मू स्वामीनाथन केरल के पालघाट जिले की रहने वाली अम्मू स्वामीनाथन ने 1946 में मद्रास निर्वाचन क्षेत्र से संविधान सभा का हिस्सा बनीं। 24 नवंबर 1949 को संविधान के मसौदे को पारित करने के लिए अपने भाषण में अम्मू ने कहा, 'बाहर के लोग कह रहे हैं कि भारत ने अपनी महिलाओं को बराबर अधिकार नहीं दिए हैं। अब हम कह सकते हैं कि जब भारतीय लोग स्वयं अपने संविधान को तैयार करते हैं तो उन्होंने देश के हर दूसरे नागरिक के बराबर महिलाओं को अधिकार दिए हैं।" 2. सरोजिनी नायडू सरोजिनी नायडू को "भारत कोकिला" के नाम से जाना जाता है।हैदराबाद में 13 फरवरी 1879 को सरोजिनी नायडू का जन्म हुआ था।सरोजिनी नायडु भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष थीं। वहीं उन्हें भारतीय राज्य का गवर्नर भी नियुक्त किया गया था।वे संविधान सभा में महिला अधिकारों की प्रबल समर्थक थीं। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा, समानता और राजनीतिक अधिकारों पर जोर दिया। 3. बेगम एजाज रसूल संविधान सभा में एकमात्र मुस्लिम महिला बेगम एजाज रसूल थीं। भारत सरकार अधिनियम 1935 के लागू होने के साथ ही बेगम और उनके पति मुस्लिम लीग में शामिल हो गए और चुनावी राजनीति में उतरे। 1937 के चुनावों में वे यूपी विधानसभा के लिए चुनी गईं। बाद में जब 1950 में भारत में मुस्लिम लीग भंग हुई तो बेगम एजाज कांग्रेस में शामिल हो गईं। 1952 में वह राज्यसभा के लिए चयनित हुईं और 1969 से 1990 तक उत्तर प्रदेश विधानसभा सदस्य रहीं। 1967 से 1971 के बीच बेगम एजाज रसूल सामाजिक कल्याण और अल्पसंख्यक मंत्री रहीं। उन्हें साल 2000 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है। 4. हंसा मेहता हंसा मेहता का जन्म बड़ौदा में 3 जुलाई 1897 को हुआ था। उन्होंने इंग्लैंड में पत्रकारिता और समाजशास्त्र की पढ़ाई की। वह सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षिका और लेखिका भी थीं। 1926 में हंसा को बॉम्बे स्कूल कमेटी के लिए चुना गया। वहीं 1945-46 में हंसा अखिल भारतीय महिला सम्मेलन की अध्यक्ष बनीं। संविधान सभा की सदस्य रहीं और इस दौरान उन्होंने समान नागरिक अधिकारों की वकालत की। हंसा मेहता ने ये सुनिश्चित किया कि संविधान में महिलाओं और पुरुषों को समान अधिकार मिले। 5.सुचेता कृपलानी सुचेता कृपलानी आजाद भारत में पहली महिला मुख्यमंत्री बनी थीं। हरियाणा के अंबाला में साल 1908 में जन्मी सुचेता ने 1940 में कांग्रेस पार्टी की महिला विंग की स्थापना की। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में अहम भूमिका निभाई। संविधान सभा में महिलाओं की शिक्षा और उनके राजनीतिक अधिकारों के लिए जोर दिया।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 24, 2025, 12:32 IST
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