आर्थिकी: ट्रंप, टैरिफ और एमएसएमई... भारत के इन उद्यमों को नुकसान होने की आशंका, निर्यात में 45% से अधिक योगदान

टैरिफ, ट्रंप की आर्थिक योजना का हिस्सा है। अमेरिका इसके जरिये राजस्व, अर्थव्यवस्था का आकार, विनिर्माण, रोजगार सृजन आदि में तेजी लाना चाहता है। वर्ष 2024 में अमेरिका में आयात का 40 फीसदी से अधिक हिस्सा चीन, मेक्सिको और कनाडा से आए उत्पादों का रहा था। वर्ष 2023 में अमेरिका को चीन से 30.2 प्रतिशत, मेक्सिको से 19 प्रतिशत और कनाडा से 14.5 प्रतिशत व्यापार घाटा हुआ था। कुल मिलाकर ये तीनों देश 2023 में अमेरिका के करीब 40 लाख करोड़ रुपये के व्यापार घाटे के लिए जिम्मेदार थे। टैरिफ के जरिये ट्रंप इसी घाटे को कम करना चाहते हैं। इस क्रम में उन्होंने 27 अगस्त से भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने का फैसला किया है। वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज के अनुसार, ट्रंप के इस फैसले से वित्त वर्ष 2026 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर में 30 आधार अंकों की कमी आ सकती है, जिससे यह छह फीसदी के आसपास रह सकती है। एजेंसी का यह भी मानना है कि स्थानीय मांग और भारत के सेवा क्षेत्र की मजबूती की बदौलत भारत टैरिफ का दबाव झेल सकता है। भारत अमेरिका से शीर्ष पांच उत्पाद जैसे, क्रूड पेट्रोलियम, पेट्रोलियम उत्पाद, सोना, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और कोयला व कोक खरीदता है, जबकि पेट्रोलियम, दवा, मोती, महंगे पत्थर और इलेक्ट्रॉनिक मशीनरी व उपकरण आदि निर्यात करता है। अमेरिका से व्यापार भारत के लिए फायदेमंद रहा है। वित्त वर्ष 2023-24 में भारत ने अमेरिका को 6.75 लाख करोड़ रुपये का निर्यात किया था, जबकि आयात किया 3.67 लाख करोड़ रुपये का। कुल कारोबार में भारत के लिए 3.07 लाख करोड़ रुपये का सरप्लस ट्रेड बैलेंस रहा। भारत ने वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान अमेरिका को 6.84 लाख करोड़ रुपये का निर्यात किया, जबकि आयात 4.43 लाख करोड़ रुपये का किया। वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान भारत ने सबसे अधिक चीन से 7.36 लाख करोड़ रुपये का आयात किया, जबकि रूस से 4.32 लाख करोड़ रुपये, यूएई से 3.98 लाख करोड़ रुपये, अमेरिका से 2.98 लाख करोड़ रुपये और सऊदी अरब से 1.96 लाख करोड़ रुपये का आयात किया। वहीं, अमेरिका को सबसे अधिक 5.22 लाख करोड़ रुपये का निर्यात किया, जबकि यूएई को 2.34 लाख करोड़ रुपये, नीदरलैंड को 1.58 लाख करोड़ रुपये, ब्रिटेन को 0.94 लाख करोड़ रुपये और चीन को महज 0.91 लाख करोड़ रुपये का निर्यात किया। टैरिफ से सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को अधिक नुकसान होने का अनुमान है। देश के कुल निर्यात में 45 प्रतिशत से अधिक का योगदान एमएसएमई क्षेत्र का है। 50 फीसदी टैरिफ लगने से कारोबार को 30 अरब डॉलर से ज्यादा का नुकसान होने का अंदेशा है। एक अनुमान के अनुसार, अमेरिकी टैरिफ से भारतीय निर्यातकों की लागत दूसरे देशों के निर्यातकों की तुलना में 30 से 35 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी। हालांकि, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) आदि देशों के साथ कारोबारी समझौता करने से भी कारोबार में इजाफा हो सकता है, पर इसे तत्काल मूर्त रूप देना आसान नहीं। एमएसएमई मौजूदा चुनौतियों का सुचारु रूप से सामना कर सके, इसके लिए उसे डिजिटल व्यापार प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराने, समयबद्ध आर्थिक सहायता मुहैया कराने तथा आवश्यक जानकारी तत्काल मुहैया कराने के साथ-साथ सरकार को इस क्षेत्र को नीतिगत व आर्थिक मदद भी देनी होगी और दुनिया के सभी प्रमुख शहरों में ट्रेड डेस्क, गोदाम और निर्यात वितरण केंद्र बनाने या बनवाने की दिशा में कार्य करना होगा। भारत से 27 फीसदी वाहन पुर्जे व 17 फीसदी टायर अमेरिका जाते हैं। टैरिफ से भारी वाहन मशीनरी और रिप्लेसमेंट टायर की श्रेणी में वियतनाम व इंडोनेशिया जैसे एशियाई देशों से साथ कीमत की होड़ में भारत पिछड़ सकता है, क्योंकि इन दोनों देशों पर कम टैरिफ लगाया गया है। भारत के दवा निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 35 प्रतिशत है और दवा को अभी टैरिफ की जद से बाहर रखा गया है, क्योंकि अमेरिका निर्यात की जाने वाली जेनेरिक दवाओं की कीमत बहुत कम होती है। इसमें पुराने रोगों, कैंसर और संक्रामक रोगों की दवाएं शामिल हैं। चीन को जेनेरिक दवाओं में दिलचस्पी नहीं है। इसलिए अमेरिका के पास भारत के अलावा कोई दूसरा विकल्प फिलहाल नहीं है। इसलिए, इस क्षेत्र में कार्यरत एमएसएमई कंपनियों को हाल-फिलहाल में राहत रहेगी। मौजूदा अमेरिकी नीति से निर्यात घटने और आयात बढ़ने से विदेशी मुद्रा भंडार में भी कमी आ रही है। एक अगस्त को समाप्त सप्ताह में यह 9.3 अरब डॉलर घटकर 688 अरब डॉलर रह गया। आंकड़ों से साफ है, भारत सबसे अधिक निर्यात अमेरिका को करता है और अमेरिका की वर्तमान नीति से भारत का अमेरिका के साथ-साथ समग्र व्यापार घाटे में वृद्धि, विदेशी मुद्रा भंडार में कमी, रोजगार सृजन दर में गिरावट, रुपये के मूल्य में कमी, राजस्व में कमी, जीडीपी में कमी, अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव आदि दृष्टिगोचर हो रहा है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Aug 14, 2025, 06:15 IST
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