Nikku Madhusudan: भारतवंशी वैज्ञानिक दावा- सौरमंडल से बाहर जीवन के संकेत मिले, दूर के ग्रहों को करीब से देखा
भारतीय मूल के खगोल वैज्ञानिक डॉ. निक्कू मधुसूदन के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की एक टीम ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि उन्हें हमारे सौरमंडल से बाहर एक विशाल ग्रह पर जीवन के संकेत मिले हैं। ये अब तक के सबसे मजबूत संकेत हैं। यह ग्रह पृथ्वी से 120 प्रकाश वर्ष दूर एक तारे की परिक्रमा करता है। वैज्ञानिकों ने इसे के2-18बी नाम दिया है। उन्होंने कहा, हमारी टीम की सबसे अच्छी व्याख्या यह है कि यह ग्रह एक गर्म महासागर से ढका हुआ है और यहां सक्रिय रूप से जीवन है। इस बाहरी ग्रह के वायुमंडल का विश्लेषण बताता है कि पृथ्वी पर एक अणु की प्रचुरता है, जिसका केवल एक ही ज्ञात स्रोत (समुद्री शैवाल) है। कैम्ब्रिज विवि के खगोलशास्त्री व नए अध्ययन के लेखक निक्कू मधुसूदन ने कहा, समय पूर्व यह दावा किसी के हित में नहीं है कि हमने जीवन का पता लगा लिया है, लेकिन हम इसके संकेतों के काफी नजदीक पहुंच चुके हैं, यह एक क्रांतिकारी क्षण है। पहली बार मानवता ने रहने योग्य ग्रह पर जैविक लक्षण देखे हैं। यह शोध एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में छपा है। वैज्ञानिकों ने पाया कि के2-18बी ग्रह में कई अणु हैं। उन्होंने एक अणु के फीके संकेत भी पाए व एक बहुत ही अहम अणु डाइमिथाइल सल्फाइड पाया है, जो सल्फर, कार्बन और हाइड्रोजन से बना है। दूर के ग्रहों को करीब से देखा 2021 में मधुसूदन व उनके सहयोगियों ने प्रस्तावित किया कि उप-नेप्च्यून गर्म पानी के महासागरों से ढके हुए थे और हाइड्रोजन, मीथेन और अन्य कार्बन यौगिकों वाले वायुमंडल में लिपटे हुए थे। इन अजीब ग्रहों का वर्णन करने के लिए उन्होंने हाइड्रोजन और महासागर शब्दों के संयोजन से एक नया शब्द हाइसीन गढ़ा। दिसंबर 2021 में जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप के लॉन्च ने खगोलविदों को उप-नेप्च्यून व अन्य दूर के ग्रहों को करीब से देखने का मौका दिया। वैज्ञानिक इस तरह लगाते हैं अनुमान जब कोई एक्सोप्लैनेट (सौर मंडल से बाहर का ग्रह) अपने मेजबान तारे के सामने से गुजरता है, तो उसका वायुमंडल प्रकाशित होता है। इसकी गैसें वेब टेलीस्कोप तक आने वाले तारों के प्रकाश का रंग बदल देती हैं। इन बदलती तरंगदैर्घ्यों का विश्लेषण करके, वैज्ञानिक वायुमंडल की रासायनिक संरचना का अनुमान लगा सकते हैं। बता दें, पृथ्वी पर डाइमिथाइल सल्फाइड का एकमात्र जीवन का ज्ञात स्रोत समुद्री शैवाल हैं। ठोस सबूत नहीं: अन्य वैज्ञानिक जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के ग्रह वैज्ञानिक स्टीफन श्मिट ने कहा, यह कुछ भी नहीं, सिर्फ एक संकेत है। सैन एंटोनियो में साउथवेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के ग्रह वैज्ञानिक क्रिस्टोफर ग्लेन ने कहा, जब तक हम बाहरी ग्रह को अपनी ओर लहराते हुए नहीं देखते, तब तक यह कोई ठोस सबूत नहीं होगा।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Apr 18, 2025, 07:31 IST
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