Health: कोरोना जांच में इस्तेमाल मशीन से सर्वाइकल कैंसर की पहचान; केंद्र के जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने की घोषणा
कोरोना महामारी में वायरस की पहचान करने वाली मशीन के जरिए अब भारत सर्वाइकल यानी गर्भाशय ग्रीवा कैंसर की जांच करेगा। बुधवार को केंद्र सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने इस स्वदेशी जांच तकनीक की घोषणा की जिसे ट्रूनेट एचपीवी- एचआर प्लस नाम दिया है। कोरोना के अलावा इस मशीन का इस्तेमाल टीबी रोगियों की पहचान करने में भी किया जाता है। देश के प्रत्येक जिला अस्पताल में उपलब्ध इस मशीन के जरिए महज एक घंटे में जांच रिपोर्ट पता चलेगी। भारत में सर्वाइकल कैंसर के मामले, हजारों मौतें जानकारी के अनुसार, भारत में सर्वाइकल कैंसर का बोझ बहुत ज्यादा है, जो वैश्विक मामलों का लगभग 25% है। हर साल 1,23,000 से ज्यादा नए मामलों और लगभग 77,000 मौतों के साथ, यह बीमारी भारतीय महिलाओं में दूसरा सबसे आम कैंसर बना हुआ है। हालांकि डॉक्टरों का मानना है कि समय पर जांच के जरिए इस बीमारी को रोका जा सकता है। ये भी पढ़ें-सर्वाइकल कैंसर: महिलाओं में दूसरा सबसे बड़ा कैंसर, प्रति लाख 17.7 महिलाएं प्रभावित, इस किट से पकड़ होगी आसान आठउच्च-जोखिम वाले जीनोटाइप की पहचान संभव यही वजह है कि भारतीय वैज्ञानिकों ने बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंट काउंसिल (बीआईआरएसी) के ग्रैंड चैलेंज इंडिया के तहत इस तकनीक को विकसित किया है जो चिप-आधारित आरटी-पीसीआर जांच है। यह मानव पेपिलोमावायरस (एचपीवी) वायरस के आठ उच्च-जोखिम वाले जीनोटाइप की पहचान कर सकती है। इसी वायरस के चलते महिलाओं में यह कैंसर होता है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Apr 24, 2025, 08:30 IST
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