साइबर ठगों का अंतरराष्ट्रीय गिरोह काबू: बुजुर्ग से 1.01 करोड़ की ठगी की थी, कंबोडिया से चल रहा था खेल

चंडीगढ़ पुलिस की साइबर सेल ने ऑनलाइन ठगी के एक हाई-प्रोफाइल मामले में कार्रवाई करते हुए एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संचालित साइबर ठग गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस गिरोह ने खुद को सीबीआई का अधिकारी बताकर सेक्टर-33 की एक बुजुर्ग महिला से 1.01 करोड़ रुपये की ठगी की थी। पुलिस ने मेरठ, लुधियाना और अमृतसर से कुल 10 लोगों को दबोचा है। आरोपी चीन से मंगवाए गए सिम बॉक्स के ज़रिए इंटरनेट कॉल्स को लोकल कॉल्स में बदलते थे, जिससे उनकी पहचान छुपी रह सके। इन उपकरणों का संचालन चीन, ताइवान, मलेशिया और कंबोडिया से किया जा रहा था। पुलिस ने जांच की तो डिजिटल अरेस्ट का झांसा देने वाले शातिर ठग कंबोडिया से कॉल कर रहे थे। साइबर सेल थाने ने 36 लाख रुपये की राशि को फ्रीज कर दिया है। साथ ही 480 सिम कार्ड, 6 सिम बॉक्स मशीनें, 14 मोबाइल फोन और एक लैपटॉप भी बरामद किए गए हैं। कॉल डिटेल और सिम एक्टिवेशन डेटा की जांच से सामने आया कि जिस सिम से कॉल की गई थी, वह लुधियाना से एक्टिवेट की गई थी और उससे 180 से अधिक सिम कार्ड जुड़े हुए थे। सीबीआई अधिकारी बनकर किया कॉल पीड़िता मनजीत कौर को 11 जुलाई को एक कॉल आई, जिसमें खुद को सीबीआई अधिकारी सुनील बताकर कॉलर ने दावा किया कि उनके आधार से जुड़ा मोबाइल नंबर और बैंक खाता मनी लॉन्ड्रिंग में इस्तेमाल हो रहा है। फर्जी दस्तावेज और पासबुक व्हाट्सएप पर भेजकर महिला को डराया गया और उन्होंने भयवश 1.01 करोड़ रुपये ठगों के बताए खातों में ट्रांसफर कर दिए। तीन राज्यों से गिरफ्तारियां मेरठ से परवेज चौहान (33) सिम बॉक्स संचालित करता था और विदेशी हैंडलर्स से यूएसडीटी में भुगतान लेता था। लुधियाना में विजय शाह व कृष्णा शाह (नेपाल निवासी) फर्जी पीओएस आईडी से दो सिम एक्टिवेट कर एक को आकाश कुमार तक पहुंचाया। अमृतसर से शुभम मेहरा उर्फ सनी (25): सोशल मीडिया के ज़रिए विदेशी नेटवर्क से जुड़ा था। उसे 25,000 मासिक वेतन पर सिम बॉक्स दिए गए थे। सुहैल अख्तर: आकाश से सिम खरीदकर शुभम तक पहुंचाता था। आकाश कुमार: 180 सिम अजीत कुमार से खरीद चुका था। अजीत, सरोज और अभिषेक कुमार 250 रुपये में एक सिम उपलब्ध करवाते थे। विपिन कुमार नेटवर्क को फंडिंग देता था। क्या होता है सिम बॉक्स एसपी साइबर गीतांजलि खंडेलवाल ने बताया कि सिम बॉक्स एक ऐसा उपकरण है जिसमें दर्जनों सिम कार्ड लगाकर इंटरनेट कॉल्स को मोबाइल नेटवर्क पर फॉरवर्ड किया जा सकता है। एक सिम बॉक्स में 32 सिम लगाते थे। इससे अंतरराष्ट्रीय कॉल्स भी स्थानीय लगती है। साइबर अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए साइबर सेल थाने की विशेष टीमें काम कर रही हैं। लोगों को खुद भी जागरूक होने की जरूरत है। इसके अलावा हमारी टीमें वह डोर टू डोर जाकर बुजुर्ग लोगों को जागरूक कर रहे हैं। खासतौर पर उन बुजुर्ग लोगों को जो अकेले रह रहे हैं। - पुष्पेंद्र कुमार, आईजी चंडीगढ़।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Aug 02, 2025, 09:55 IST
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