Jammu News: निजी स्कूलों की मनमानी से अभिभावक त्रस्त, जेब पर बढ़ा बोझ बिगाड़ रहा बजट
सरकारी और निजी प्रकाशकों की किताबों के दाम में दोगुना अंतर, निजी प्रकाशकों की पुस्तकें खरीदने का दबाव बनाने का आरोपअंकित मिश्राजम्मू। नया शैक्षणिक सत्र शुरू होते ही अभिभावकों की जेब पर बोझ बढ़ गया है। खासकर उन अभिभावकों का बजट ज्यादा गड़बड़ाया है, जिनके बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ते हैं। स्कूल प्रबंधकों व निजी प्रकाशकों की मनमानी जारी है। इस सत्र में सरकारी स्कूलों की किताबों में कोई बदलाव नहीं है, जबकि निजी स्कूल व प्रकाशकों के सिंडीकेट ने हर बार की तरह इस बार भी किताबों के दाम बढ़ा दिए हैं। सरकारी व निजी प्रकाशकों की किताबों के दाम में दोगुना अंतर है। अभिभावकों का कहना है कि निजी स्कूल इस बार भी निजी प्रकाशकों की पुस्तकें खरीदने के लिए दबाव बना रहे हैं। पक्का डंगा में बच्चे की किताब खरीदने पहुंचे एक अभिभावक ने काउंटर पर रखी स्कूल शिक्षा बोर्ड की सातवीं कक्षा की किताब दिखाते हुए कहा कि देखिए, हिंदी की यह पुस्तक महज 76 रुपये की है। लेकिन, हमें जो किताब लेने के लिए कहा गया है उसकी कीमत 150 से 200 रुपये के बीच है। सरकारी किताबों का एक सेट 500-600 रुपये, जबकि निजी प्रकाशक की किताबों का सेट 2500 से 3000 रुपये से शुरू है।-----कारोबारी भी स्वीकार कर रहे, बढ़े दामों की बातकारोबारी हरीश गुप्ता ने बताया कि इस बार नए सत्र में निजी संस्थानों की किताबें काफी महंगी हैं। पिछले साल की अपेक्षा इस बार किताबों में 80 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इससे अभिभावकों की परेशानियां बढ़ गई हैं। कारोबारी पुलकित गुप्ता ने बताया कि निजी स्कूलों में शिक्षा पहले से महंगी है, लेकिन किताबों की बढ़ती कीमतों ने पढ़ाई को और अधिक खर्चीला बना दिया है। कई स्कूल चुनिंदा प्रकाशन की किताबें ही पाठ्यक्रम में शामिल कर रहे हैं। इनकी कीमतें सरकारी से 80 फीसदी अधिक है। प्रकाशनों के अनुबंध का खामियाजा अभिभावकों को भुगतना पड़ रहा है।---------------कुछ यूं जताया गुस्साअब शिक्षा कारोबार बन चुकी है। क्या पढ़ाई होगी, जब निजी स्कूल अपने हिसाब से किताबों का चयन कर रहे है। वहीं, अभिभावकों को उन्हें मजबूरन खरीदना पड़ता है। यह सरकारी किताबों से कई गुना अधिक दामों पर बेची जा रही हैं। -अक्षिता, अभिभावक, पक्का डंगानिजी स्कूलों में हर वर्ष किताबें बदल दी जाती हैं, ताकि पुरानी किताबों का कोई दूसरा छात्र इस्तेमाल न कर सके। अभिभावकों को बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए दोगुना दाम चुकाने पड़ रहे हैं। -संजीव कुमार, अभिभावक, रूप नगर -------------छात्र बोले, सरकार को देना चाहिए ध्यानमुदस्सिर ने कहा कि मैं 11वीं का छात्र हूं। निजी स्कूलों की अपेक्षा सरकारी स्कूल की किताबों के दामों में दो साल से कोई बदलाव नहीं हुआ है। सरकार से यही अपील है कि कुछ असुविधाओं के अभाव में लोग सरकारी संस्थानों से मुख मोड़ रहे हैं। अगर सुविधाएं मुहैया करवाई जाएं तो शिक्षा में काफी सुधार होगा। -------------निजी प्रकाशकों की किताब के दाम से शुरू होते हैं 200 रुपये सेकक्षा एक की सरकारी किताब के दाम 52 रुपये से शुरू होकर 90 रुपये तक हैं। वहीं, निजी प्रकाशकों की किताब की कीमत 200 रुपये से ही शुरू होती है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Apr 07, 2025, 02:38 IST
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