ईपीएफओ की पहल : खारिज करने के बजाय प्रस्ताव सुधार पर जोर
- देश में प्रस्तावों का खारिज करने का प्रतिशत 21 है, जम्मू-कश्मीर से 15 फीसदी ही नामंजूर हुएसतीश वालिया जम्मू। जम्मू-कश्मीर में वर्ष 2024-25 में कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) के लिए 15 फीसदी आवेदन नामंजूर हुए। यह आंकड़ा पूरे भारत में सबसे कम रहा है। भारत में यह आंकड़ा 21 फीसदी रहा।ईपीएफओ जम्मू के अनुसार, नामंजूर दस्तावेजों पर इस माह दोबारा जांच की जाएगी। जम्मू-कश्मीर में सबसे कम दस्तावेज नामंजूर होने का कारण रहा कि प्रस्तावों को दोबारा ठीक किया गया। आवेदकों को काॅल कर दोबारा दस्तावेज मंगवाए गए। सुबह दस बजे से लेकर रात 12 बजे तक काम किया गया। बताया कि निजी कंपनियों, फर्म और ठेकेदारों के पास काम करने वाले कर्मचारियों का रिकाॅर्ड ईपीएफ में दर्ज होता है। ईपीएफ कटने से आर्थिक लाभ मिलता है। इसके अलावा कर्मचारियों को बीमा सहित अन्य लाभ भी देना जरूरी होता है। कुल काटी गई राशि के बराबर ही कंपनियों को राशि डालनी होती है। --------जानिए : किस तरह से सुधार कर हो रहा कामप्रस्तावों को ठीक करना, कॉल करके दस्तावेज जमा करवाना, सुबह से लेकर रात 12 तक लंबित मामलों को निपटाना, दस्तावेजों की जांच करनाप्रतिशत में रिजेक्शनराज्य प्रतिशतयूपी 22दिल्ली 21पंजाब- 20हिमाचल-23----------------कोट देशभर में सबसे कम आवेदन जम्मू-कश्मीर के रिजेक्ट हुए हैं। पड़ोसी राज्यों में ग्राफ ज्यादा है। त्रुटियों को दूर कर कर्मचारियों को लाभ दिया गया है। - रिजवानुद्दीन, आयुक्त, ईपीएफओ जम्मू
- Source: www.amarujala.com
- Published: Apr 07, 2025, 02:36 IST
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