janmashtami: गृहस्थ और वैष्णव 16 को ही मनाएंगे जन्माष्टमी, कई साल के बाद नहीं मिल रहा अष्टमी व रोहिणी नक्षत्र
भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का महापर्व मनाया जाएगा। अखिल ब्रह्मांड नायक के जन्मोत्सव का उत्सव काशी के मंदिरों के साथ ही घरों में भी मनाया जाएगा। इस बार जन्माष्टमी पर लंबे अंतराल के बाद गृहस्थ और वैष्णव एक साथ 16 अगस्त को जन्मोत्सव मनाएंगे और व्रत रखेंगे। वहीं, रोहिणी मतावलंबी वैष्णवजन 17 अगस्त को व्रत रखकर जन्मोत्सव मनाएंगे। 15 अगस्त से ही काशी में जन्मोत्सव के आयोजन शुरू हो जाएंगे। काशी विद्वत परिषद के पूर्व संगठन मंत्री पं. ऋषि द्विवेदी ने बताया कि इस बार जन्माष्टमी को निशीथव्यापिनी तिथि अर्थात भाद्र पद कृष्ण अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र दोनों नहीं मिल रहे हैं। धर्मसिंधु में कहा गया है कि भाद्र कृष्ण अष्टमी निशिथव्यापिनी ग्राह्या है। यदि तिथि निशिथव्यापिनी नहीं मिल रही हो तो उस दशा में फिर धर्मसिन्धुकार ने कहा है कि दिन द्वै निशिथव्यापत्य भावे परयवाअष्टमी ग्राह्या यानी यदि दो दिन अष्टमी तिथि मिल रही हो तो दूसरे दिन भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार इस बार गृहस्थ और वैष्णवजनों की जन्माष्टमी 16 अगस्त को मनेगी। भाद्र कृष्ण अष्टमी तिथि 15/16 अगस्त की मध्यरात्रि के बाद 12:58 मिनट पर लगेगी और 16 अगस्त को मध्य रात्रि के पूर्व 10:29 बजे तक रहेगी।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Aug 11, 2025, 15:04 IST
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