झांसी जिला कारागार: हैंडराइटिंग रिपोर्ट न आने तक कार्रवाई से डीआईजी का इंकार, बंदी सुसाइड का मामला
झांसी कारागार में बंदी के आत्महत्या मामले में विधि विज्ञान प्रयोगशाला से हैंड राइटिंग रिपोर्ट न आने तक डीआईजी (जेल) प्रदीप गुप्ता ने न्यायिक जांच कमेटी की ओर से उत्तरदायी ठहराए गए जेल अफसरों के खिलाफ कार्रवाई से इन्कार किया है। डीआईजी ने यह जवाब आईजीआरएस शिकायत के जवाब में विशेष सचिव को भेजा है। इस मामले में देरी होने पर शिकायतकर्ता पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने सवाल खड़े किए हैं। मऊरानीपुर के टिकरी गांव निवासी करन कुशवाहा ने 30 सितंबर 2024 को झांसी कारागार में बैरक के बाहर गमछे से फंदा लगाकर जान दे दी थी। उसके पास से सुसाइड नोट मिला था। इस मामले की न्यायिक जांच कराई गई। समिति की रिपोर्ट अक्तूबर में सामने आई थी। जेल अफसरों की भूमिका को संदिग्ध ठहराते हुए कई गंभीर आरोप लगाए गए थे। रिपोर्ट के मुताबिक जेल के अंदर सुविधा मुहैया कराने के लिए बंदियों से मोटी रकम वसूली जाती थी। जांच के दौरान कमेटी का सहयोग नहीं किया गया। घटना स्थल के वीडियो फुटेज न देकर दूसरी जगह के फुटेज दिए गए। इस रिपोर्ट से शासन स्तर पर खलबली मच गई। पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषी बताए गए तत्कालीन जेलर कस्तूरी लाल गुप्ता, डिप्टी जेलर जगवीर सिंह चौहान एवं रामनाथ मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इस मामले को लेकर दर्ज कराई आईजीआरएस शिकायत पर लिखित जवाब में 3 नवंबर को डीआईजी जेल प्रदीप गुप्ता ने कहा कि बंदी के पास से बरामद हुए सुसाइड नोट की अभी तक रिपोर्ट नहीं आई है। ऐसे में न्यायिक जांच में दर्ज प्रतिकूल तथ्यों के आधार पर कार्रवाई नहीं हो सकती। इस रिपोर्ट के आने के बाद ही उत्तरदायी कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 05, 2025, 09:52 IST
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