Jio-Facebook: जियो-फेसबुक डील मामले में RIL को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने 30 लाख रुपये के जुर्माने को सही ठहराया

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा। शीर्ष अदालत ने कंपनी और उसके दो शीर्ष अधिकारियों- सावित्री पारेख और के सेथुरमन की वह अपील खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने भारतीय स्टॉक एक्सचेंज बोर्ड (SEBI) द्वारा लगाए गए 30 लाख रुपये के जुर्माने को चुनौती दी थी। क्या है मामला मार्च 2020 में सोशल मीडिया और बिजनेस रिपोर्ट्स में यह चर्चा तेज हो गई थी कि फेसबुक जियो प्लेटफॉर्म्स में बड़ी हिस्सेदारी खरीदने जा रहा है। लेकिन RIL ने इस पर तुरंत कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण या खंडन जारी नहीं किया। आखिरकार कंपनी ने 22 अप्रैल 2020 को एलान किया कि फेसबुक ने 43,574 करोड़ रुपये में जियो में 9.99% हिस्सेदारी खरीदने का फैसला किया है। यानी मीडिया रिपोर्ट्स के सामने आने के 28 दिन बाद आधिकारिक जानकारी दी गई। SEBI का आरोप था कि इतनी देरी अनऑथराइडज्ड सलेक्टिव इंफॉर्मेशन लीक को बढ़ावा देती है और यूपीएसआई (UPSI) नियमों का उल्लंघन करती है। यह भी पढ़ें:1.20 लाख प्राइवेट कैमरे हैक कर बनाए आपत्तिजनक वीडियो, यूजर्स की यह गलती बनी वजह, ऐसे बचें आप SEBI और SAT की जांच में क्या पाया गया भारतीय प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (SAT) ने SEBI के निर्णय को सही ठहराते हुए कहा था कि जब 24-25 मार्च 2020 को खबरें सामने आईं, तो कंपनी को तुरंत पुष्टि या खंडन जारी करना चाहिए था। लेकिन आधिकारिक जानकारी लगभग 28 दिन बाद 22 अप्रैल 2020 को दी गई । मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा कि SAT के निष्कर्ष तार्किक हैं और इसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में ऐसा कोई कानून संबंधी प्रश्न नहीं है जिस पर शीर्ष अदालत को दखल देना चाहिए। क्यों महत्वपूर्ण हैं UPSI के नियम यूपीएसआई से जुड़ी जानकारी बाजार को सीधे प्रभावित करती है। अगर कोई कंपनी इसे समय पर सार्वजनिक नहीं करती है, तो इससे शेयर की कीमत पर असर पड़ सकता है, इनसाइडर ट्रेडिंग की संभावनाएं बढ़ सकती हैं और बाजार में गलत संदेश जा सकता है। इसीलिए SEBI ने इस मामले को गंभीर उल्लंघन मानते हुए RIL और उसके अधिकारियों को दोषी ठहराया। यह भी पढ़ें:इस देश की सेना ने Android स्मार्टफोन पर लगाया बैन, सिर्फ iPhone इस्तेमाल करने का दिया आदेश कोर्ट ने SEBI के फैसले को रखा बरकरार लिस्टिंग ऑब्लिगेशन्स और डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट्स (LODR) नियमों के अनुसार, कोई भी सूचीबद्ध कंपनी किसी भी महत्वपूर्ण मीडिया रिपोर्ट पर स्वेच्छा से भी स्पष्टीकरण जारी कर सकती है। SEBI ने इस आधार पर RIL और उसके दोनों अधिकारियों को नियमों के उल्लंघन का दोषी माना था, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Dec 02, 2025, 11:37 IST
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