हास्य कविता: काका हाथरसी की कविता 'रूठ गई हो प्रेमिका, बीज प्रेम के बोय'
रूठ गई हो प्रेमिका, बीज प्रेम के बोय। याद सताए रात-दिन, धक-धक दिन में होय॥ धक-धक दिल में होय, व्यर्थ जा रही जवानी। देख आज़माकर नुस्ख़ा, यह पाकिस्तानी॥ कह काका कवि, तवा बाँधकर अपने सर पर। लेकर छाता कूदो, महबूबा के घर पर॥ हमारे यूट्यूब चैनल कोSubscribeकरें।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Sep 17, 2025, 11:13 IST
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