Kanpur: कटान से गंगा समेत अन्य नदियां रास्ता भटकीं, बढ़ा बाढ़ का खतरा
शहरी विस्तार के कारण बढ़ती जा रही कटान से गंगा और अन्य नदियां रास्ता भटक गई हैं। इससे तटीय इलाकों में बाढ़ का खतरा और बढ़ गया है। करीब 50 वर्षों में रास्ता बदलने से नदियां गांवों के करीब पहुंचती जा रही हैं। इन नदियों को पुराने रास्ते पर लाने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने आईआईटी के वैज्ञानिकों को दी है। आईआईटी के वैज्ञानिकों ने पुरानी और नई सैटेलाइट तस्वीरों के माध्यम से गंगा से जुड़ीं नदियों को पुराने रास्ते पर लाने का मैप तैयार किया है। पिछले पांच दशकों में बढ़ती कटान से नदियों के रास्ते में बदलाव आ गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार, नदियों का स्वरूप करीब एक से दो किलोमीटर तक बदल चुका है। न केवल नदियों के स्वरूप बल्कि उनके प्रवाह और भूमि उपयोग में भी काफी बदलाव आए हैं। आईआईटी कानपुर के सी-गंगा से जुड़े वैज्ञानिक प्रो. विनोद तारे ने बताया कि जब भी बाढ़ आती है तो कटान शुरू हो जाता है। अक्सर नदियां फिर उसी दिशा से बहने लगती हैं। गंगा से जुड़ी रामगंगा, ताप्ती, शारदा और गर्रा नदियों के स्वरूप, प्रवाह पर अध्ययन कर डाटा तैयार किया गया है। 1965 की अमेरिकी जासूसी उपग्रह शृंखला कोरोना से ली गई तस्वीरों को 2018-19 की अत्याधुनिक सैटेलाइट इमेजरी के साथ जोड़कर नदी के स्वरूप, प्रवाह और भूमि उपयोग में आए बड़े बदलाव दर्ज किए हैं। उपग्रह की तस्वीरों में गंगा और उसकी सहायक नदियां अपनी प्राकृतिक अवस्था से बिल्कुल अलग हैं। 2019 की तस्वीरें नदी की बदलती स्थिति को उजागर करती हैं। इन तस्वीरों में बैराज, तटबंध और शहरी विस्तार के कारण गंगा की स्वाभाविक बहाव गति पर रोक लगते दिख रही है। यह तुलनात्मक अध्ययन अब नई उम्मीद का संचार करता है। प्रो. तारे ने कहा कि सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों की मदद से डाटा बैंक तैयार किया है जो गंगा को वापस अपनी पुरानी स्थिति में लाने में मददगार साबित होगा। इसकी मदद से किन इलाकों में बहाली से गंगा अपनी पुरानी लय पा सकती है और कहां भूमि उपयोग में सुधार से उसकी सेहत फिर से निखर सकती है, इस बारे में जानकारी मिलेगी।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Aug 20, 2025, 14:24 IST
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