केदारनाथ सिंह की कविता- और बस इतना ही काफ़ी है
इतने दिनों के बाद वह इस समय ठीक मेरे सामने है न कुछ कहना न सुनना न पाना न खोना सिर्फ़ आँखों के आगे एक परिचित चेहरे का होना होना- इतना ही काफ़ी है बस इतने से हल हो जाते हैं बहुत-से सवाल बहुत-से शब्दों में बस इसी से भर आया है लबालब अर्थ कि वह है वह है है और चकित हूँ मैं कि इतने बरस बाद और इस कठिन समय में भी वह बिल्कुल उसी तरह हँस रही है और बस इतना ही काफ़ी है
- Source: www.amarujala.com
- Published: Jun 03, 2025, 17:44 IST
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